श्यामा प्यारी मेरे साथ है,
फिर डरने की क्या बात है,
उसने पकड़ा मेरा हाथ है,
मेरी श्यामा की क्या बात है,
इसके होते कोई कुछ कहे,
बोलो किसकी ये औकात है।।
तर्ज – ज़िन्दगी प्यार का गीत है।
छायें काली घटाये तो क्या,
तेरे आँचल के नीचे हूँ मैं,
आगे आगे वो चलती मेरे,
अपनी श्यामा के पीछे हूँ मैं ,
उसने पकड़ा मेरा हाथ है,
फिर डरने की क्या बात है।।
उनकी करुणा का वर्णन करूँ,
मेरी वाणी में वो दम नहीं,
जबसे इनका सहारा मिला,
फिर सताए कोई गम नहीं,
करती ममता की बरसात है,
मेरी लाड़ो की क्या बात है,
राधा रानी मेरे साथ है,
फिर डरने की क्या बात है,
इनके रहते कोई कुछ कहे,
बोलो किसकी ये औकात है।।
क्यों तू भटके यहाँ से वहां,
इनके चरणों में आ बैठ ना,
छोड़ के नाते सभी,
श्यामा प्यारी से नाता बना,
ये कराती मुलाक़ात है,
मेरी श्यामा की क्या बात हैं,
राधा रानी मेरे साथ है,
फिर डरने की क्या बात है,
इनके रहते कोई कुछ कहे,
बोलो किसकी ये ओकात है।।
गर हो जाये करुणा नज़र,
बरसाना बुलाती हैं ये,
‘बिन्नू’ क्यों ना दीवाना बने,
ह्रदय से लगाती है ये,
प्यार करने में विख्यात है,
मेरी लाड़ो की क्या बात है,
राधा रानी मेरे साथ है,
फिर डरने की क्या बात है,
इनके रहते कोई कुछ कहे,
बोलो किसकी ये ओकात है।।
श्यामा प्यारी मेरे साथ है,
फिर डरने की क्या बात है,
उसने पकड़ा मेरा हाथ है,
मेरी श्यामा की क्या बात है,
इसके होते कोई कुछ कहे,
बोलो किसकी ये औकात है।।
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