Current Date: 21 Jan, 2025

शयद कुछ मेरे लिए अच्छा सोच रखा होगा

- मनीष भट्ट


मुश्किल की घडियो में जब नजर न कुछ आता
उस वक़्त ये इक खिल मुझे होंसला दे जाता
शयद कुछ मेरे लिए अच्छा सोच रखा होगा
मुश्किल की घडियो में जब नजर न कुछ आता

सब के काम होते मेरा क्यों न होता
दुनिया के तानो से दिल मेरा रोता
शयद इस में भी तो कुछ मेरा भला होगा
मुश्किल की घडियो में जब नजर न कुछ आता

आये गए कन्हैया भरोसा अटल है
प्रेम सँवारे से मेरा प्रबल है
शयद किसी और का दुःख मुझसे जयदा होगा
मुश्किल की घडियो में जब नजर न कुछ आता

श्याम को क्या दोष दू वो तो सही है
समर्पण में मोहित कुछ तो कमी है
शयद बुरे कर्मो का कुछ हिंसा बचा होगा
मुश्किल की घडियो में जब नजर न कुछ आता

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