शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) नौ दिनों तक चलने वाला शक्ति स्वरूपा माँ दुर्गा की उपासना का त्यौहार है। माँ दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिये भक्त इस नवरात्रि (Navratri) में अनेक आयोजन करते है और व्रत रखते हैं। जानियें इस वर्ष कब से आरम्भ हो रहे हैं शारदीय नवरात्रि? और साथ ही पढ़ियें इनका ज्योतिषिय महत्व और शारदीय नवरात्रि पर निभायी जाने वाली परंपरायें क्या है?…
Shardiya Navratri-शारदीय नवरात्रि
आश्विन मास की शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) का आरम्भ होता हैं। यह नौ दिनों तक चलने वाला शक्ति स्वरूपा माँ दुर्गा की उपासना का त्यौहार हैं। नवरात्रि (Navratri) में पूरे नौ दिनों तक माँ दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरूपों का पूजन करने का विधान हैं। वर्ष में दो बार प्रकट नवरात्रि (Navratri) होते है और दो गुप्त नवरात्रि मनाये जाते हैं। चैत्र नवरात्रि और आश्विन माह में आने वाले शारदीय नवरात्रि को प्रकट नवरात्रि कहा जाता हैं।
Isse Shardiya Navratri Kyun Kehte Hai?-इस नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि क्यों कहते हैं?
इसे शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) इसलिये कहा जाता है क्योकि इसके साथ ही शरद ऋतु का आगमन होता हैं।
Shardiya Navratri Kab Hain?-शारदीय नवरात्रि कब हैं?
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) 15 अक्टूबर, 2023 रविवार से आरम्भ होंगे। इस दिन घटस्थापना की जायेगी और देवी विसर्जन 24 अक्टूबर, 2023 रविवार के दिन किया जायेगा।
Shardiya Navratri Schedule-शारदीय नवरात्रि कार्यक्रम
नवरात्रि दिन 1 (घटस्थापना) |
प्रतिपदा |
15 अक्टूबर, 2023 |
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नवरात्रि दिन 2 |
द्वितीया |
16 अक्टूबर, 2023 |
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नवरात्रि दिन 3 |
तृतीया |
17 अक्टूबर, 2023 |
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नवरात्रि दिन 4 |
चतुर्थी |
18 अक्टूबर, 2023 |
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नवरात्रि दिन 5 |
पंचमी |
19 अक्टूबर, 2023 |
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नवरात्रि दिन 6 |
षष्ठी |
20 अक्टूबर, 2023 |
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नवरात्रि दिन 7 |
सप्तमी |
21 अक्टूबर, 2023 |
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नवरात्रि दिन 8 |
अष्टमी |
22 अक्टूबर, 2023 |
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नवरात्रि दिन 9 |
नवमी |
23 अक्टूबर, 2023 |
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नवरात्रि दिन 10 विजयदशमी |
दशमी |
दुर्गा विसर्जन, नवरात्रि पारणा, |
24 अक्टूबर, 2023 |
Shardiya Navratri Ka Mahatva-शारदीय नवरात्रि का महत्व
हिंदु शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार जब महिषासुर नाम के असुर के आतंक से तीनों लोक त्राहि-त्राहि कर उठें, तब सभी देवताओं ने भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ मिलकर माँ शक्ति का आवाह्न किया और उनकों अपनी शक्तियाँ देकर देवासुर संग्राम में सहायता के लिये कहा। तब माता ने महिषासुर का मर्दन करके समस्त संसार को उसके भय और आतंक से सुरक्षित किया।
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री राम ने भी लंकापति रावण को युद्ध में पराजित करने के लिये नौ दिन तक शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri) में शक्ति पूजन किया था। और फिर विजयादशमी के दिन रावण का वध किया।
Navratri Ka Jyotishiya Mahatva-नवरात्रि का ज्योतिषिय महत्व
हिंदु मान्यता के अनुसार नवरात्रि (Navratri) में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों (Maa Durga Ke Nau Swaroop) की पूजा की जाती हैं। नवरात्रि में हर दिन का विशेष महत्व हैं। ज्योतिष से जुड़े ग्रंथों में नवरात्रि पूजन से ग्रहों की अनुकूलता के विषय में वर्णन मिलता हैं।
1. प्रथम दिन को माँ शैलपुत्री (Shailputri) की पूजा करने का विधान हैं। माँ शैलपुत्री (Shailputri Mata) की पूजा करने से जातक को चंद्रमा की अनुकूलता प्राप्त होती हैं।
2. द्वितीय दिन को माँ ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini) की पूजा की जाती हैं। माँ ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) की पूजा करने से जातक को मंगल ग्रह की अनुकूलता प्राप्त होती हैं।
3. तृतीय दिन पर माँ चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) की पूजा करने का विधान हैं। देवी चंद्रघण्टा (Devi Chandraghanta) की पूजा करने से जातक को शुक्र ग्रह की अनुकूलता प्राप्त होती हैं।
4. चतुर्थ दिन पर माँ कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा करने का विधान हैं। माँ कूष्माण्डा (Kushmanda Devi) की पूजा करने से जातक को सूर्य देव की अनुकूलता प्राप्त होती हैं।
5. पंचम दिन पर माँ स्कंदमाता (Maa Skandamata) की पूजा करने का विधान हैं। माँ स्कंदमाता (Maa Skandamata) की पूजा करने से जातक को बुध ग्रह की अनुकूलता प्राप्त होती हैं।
6. षष्टम दिन पर माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा करने का विधान हैं। माँ कात्यायनी (Katyayani Mata) की पूजा करने से जातक को बृहस्पति ग्रह की अनुकूलता प्राप्त होती हैं।
7. सप्तम दिन पर माँ कालरात्रि (Maa Kalratri) की पूजा किये जाने का विधान है। माँ कालरात्रि (Kalratri) की पूजा करने से जातक को शनि ग्रह की अनुकूलता प्राप्त होती हैं।
8. अष्टम दिन पर माँ महागौरी (Mata Mahagauri) की पूजा किये जाने का विधान हैं। माँ महागौरी (Mahagauri) की पूजा करने से जातक को राहु ग्रह की अनुकूलता प्राप्त होती हैं।
9. नवम दिन पर माँ सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा किये जाने का विधान हैं। माँ सिद्धिदात्री (Siddhidatri) की पूजा करने से जातक को केतु ग्रह की अनुकूलता प्राप्त होती हैं।
Shardiya Navratri Par Nibhai Jane Wali Parampara-शारदीय नवरात्रि पर निभायी जाने वाली परंपरा
शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) पर पूरे नौ दिनों तक माँ शक्ति की उपासना की जाती हैं। भक्त योग और सिद्धि के लिये अनेक अनुष्ठान करते हैं। पूरे देश में विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन किये जाते हैं।
1. जगह-जगह पर राम लीला का आयोजन किया जाता हैं।
2. गुजरात में शारदीय नवरात्रि पर गरबे का भव्य आयोजन होता हैं।
3. घर-घर में घट स्थापना की जाती हैं। और कन्याओं का पूजन किया जाता हैं।
4. बंगाल में बड़े-बड़े पण्ड़ाल सजाये जाते हैं और उसमें माँ दुर्गा की भव्य प्रतिमायें लगायी जाती हैं। वहाँ पर दुर्गा पूजन का आयोजन किया जाता हैं।
5. माँ दुर्गा के भक्त नवरात्रि (Navratri) में माँ शक्ति के नौ स्वरूपों की पूजा-आराधना पूरी श्रद्धा-भक्ति और विधि-विधान के साथ करते हैं।
6. नवरात्रि (Navratri) के पावन अवसर पर देवी के शक्ति पीठों और मंदिरों में मेलों का आयोजन होता हैं।
7. माँ के भक्त नवरात्रि (Navratri) पर घर में घटस्थापना करके नौ दिन तक व्रत रखते है और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं।
8. बहुत से स्थानों पर अखण्ड़ रामायण का अयोजन किया जाता हैं। रामायण पाठ किया जाता हैं।
9. माता के मंदिरों में हवन, कीर्तन के साथ जागरण का आयोजन किया जाता हैं। मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की झांकियां सजाई जाती हैं।
शारदीय नवरात्रि 8 या 9 दिन ? (8 or 9 Days Shardiya navratri vrat )
इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर 2023 और समापन 23 अक्टूबर 2023 को होगा. 24 अक्टूबर को विजयादशमी पर मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन होगा. ऐसे में शारदीय नवरात्रि पूरे 9 दिन मनाए जाएंगे. इस साल किसी भी तिथि का क्षय नहीं है. शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि में तिथि का घटना अशुभ माना जाता है.
नवरात्रि में की जाती है कलश स्थापना-
भारत के ज्यादातर राज्यों में नवरात्रि मनाई जाती है। हालांकि नवरात्रि पश्चिमी राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्य कर्नाटक में बहुत लोकप्रिय त्योहार है। नवरात्रि के पहले दिन मंत्रोच्चार के साथ पूरे वैदिक अनुष्ठानों के साथ कलश में मां दुर्गा का आह्वान किया जाता है। कलश में माता रानी के आह्वान को घटस्थापना या कलशस्थापना के रूप में जाना जाता है। कलश स्थापना हमेशा नवरात्रि के पहले दिन ही जाती है।
कलश स्थापना विधि-
1. अनाज बोने के लिए सबसे पहले मिट्टी का चौड़ा बर्तन (जिसका उपयोग कलश रखने के लिए किया जाएगा) लें। गमले में मिट्टी की पहली परत फैलाएं और फिर अनाज के बीज फैलाएं। अगर जरूरी हो तो मिट्टी को सेट करने के लिए गमले में थोड़ा पानी डालें।
2. अब कलश की गर्दन पर पवित्र धागा बांधें और गर्दन तक पवित्र जल भरें। जल में सुपारी, गंध, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्के डालें। कलश को ढक्कन से ढकने से पहले कलश के किनारे पर अशोक की 5 पत्तियां रखें।
3. अब बिना छिले नारियल को लें और इसे लाल कपड़े के अंदर लपेट लें। नारियल और लाल कपड़े को पवित्र धागे से बांध लें।
4. अब तैयार किए गए नारियल को कलश के ऊपर रखें। अंत में कलश को अनाज के बर्तन के बीच में रखें। अब हमारे पास देवी दुर्गा का आह्वान करने के लिए कलश तैयार है।
शारदीय नवरात्रि के दौरान ना करें ये गलतियां-
शारदीय नवरात्रि पर्व आ गया है। इन दिनों अधिकतर सभी लोग व्रत-उपवास करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मां दुर्गा के 9 दिवसीय नवरात्रि व्रत संयम और अनुशासन की मांग करते हैं। अत: नवरात्रि में देवी मां को प्रसन्न करना है तो इन 13 कामों से बचकर रहें।
* नवरात्रि में यह 13 काम किए तो माता रानी हो जाएंगी नाराज
1. नवरात्रि में अगर अखंड ज्योति जला रहे हैं तो इन दिनों घर खाली छोड़कर नहीं जाएं।
2. नौ दिनों तक नाखून नहीं काटने चाहिए।
3. व्रत रखने वालों को दाढ़ी-मूंछ और बाल नहीं कटवाने चाहिए।
4. खाने में प्याज, लहसुन और नॉन वेज न खाएं।
5. नौ दिन का व्रत रखने वालों को गंदे और बिना धुले कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
6. व्रत रखने वाले लोगों को बेल्ट, चप्पल-जूते, बैग जैसी चमड़े की चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
7. व्रत रखने वालों को नौ दिन तक नींबू नहीं काटना चाहिए।
8. व्रत में नौ दिनों तक खाने में अनाज और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
9. विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्रि व्रत के समय दिन में सोना निषेध है।
10. फलाहार एक ही जगह पर बैठकर ग्रहण करें।
11. चालीसा, मंत्र या सप्तशती पढ़ रहे हैं तो पढ़ते हुए बीच में दूसरी बात बोलने या उठने की गलती कतई ना करें। इससे पाठ का फल नकारात्मक शक्तियां ले जाती हैं।
12. शारीरिक संबंध बनाने से व्रत का फल नहीं मिलता है।
13. कई लोग भूख मिटाने के लिए तम्बाकू चबाते हैं यह गलती व्रत के दौरान बिलकुल ना करें। व्यसन से व्रत खंडित होता है।
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