Current Date: 18 Nov, 2024

शनि अमृतवाणी

- Rakesh Kala


शनि अमृतवाणी

M:- नीलांबर परिधान है नवग्रहों के सरकार
शनि देवता राखिए भक्त जनों की लाज
रूप चतुर्भुज आपका और वरण है श्याम
चरण शरण में आए जो बनते उनके काम
सूर्य देव प्रीतू आपके आरू छाया है मां
यमुना बहन है आपकी और यह आपके भाई
एक हाथ त्रिशूल है गद्दा दूसरे हाथ
और दो बाकी हाथ हैं वर मुद्रा में नाथ
कोरस :- जय जय शनि महाराज तुम ग्रहों के हो सरताज -2

M:- माथे मुकुट है स्वर्ण का गल मुक्तन की माल
हे शनि देवा आपकी व कुट्टी है विकराल
शनि देवता आप हो काका के असवार
चरण शरण में आए जो करते बेड़ा पार
लोहा तिल और तेल उड़द आपको परम सुहाय
शनिवार को भक्तजन आपको भोग चढ़ाएं
शनिवार को जो करें तेल उड़द का दान
जीवन में पा जाते हैं भक्त वही सम्मान
कोरस :- जय जय शनि महाराज तुम ग्रहों के हो सरताज -2

M:- वक्र दृष्टि से आपकी भक्त सभी डर जाएं
जन्म जन्म के कर्मों का फल तुरंत मिल जाए
केकई पर दृष्टि पड़ी मति गई भर माय
पत्नी भाई संग राम जी वन में दिए भिजवाए
दशरथ पर दृष्टि पड़ी मिला पुत्र का वियोग
राम-राम कह मर गए कैसा विधि का योग
राम पर दृष्टि डाल के वन में दिया भिजवाए
नंगे पैरों वन फिरे साधु वस्त्र पहनाए
कोरस :- जय जय शनि महाराज तुम ग्रहों के हो सरताज -2

M:- डाली दृष्टि जब सीता पर वन में गई चूराए
पति वियोग में जानकी राम-राम चिल्लाए
डाली लखन पे दृष्टि तो शक्ति लगी थी अपार
मूर्छित हो धरा गिर गए राम रोए बेजाय
वक्र दृष्टि को घुमाई के मेघनाथ दई डार
लक्ष्मण जी को बना दिया मेघनाथ का कार
रावण पर दृष्टि पड़ी सीता लई चुराए
अग्नि वाण से तुम प्रभु रावण को मरवाए
कोरस :- जय जय शनि महाराज तुम ग्रहों के हो सरताज -2

M:- कौरव पांडव भी प्रभु दृष्टि से बच नहीं पाए
अपने अपने कर्मों का दर्शन इन्हीं से पाए
वन वन भटके पांडव सब राजपाट लिया छीन
महलों में पलने वाले बने दीन और हीन
राजपाट और पत्नी सब जुए में गए थे हार
रुखा सुखा खा रहे पांडव थे आहार
द्रोपदी पर दृष्टि पड़ी हुआ सभा में अपमान
दुशासन साड़ी खींच रहा दूषित कर रहा मान
कोरस :- जय जय शनि महाराज तुम ग्रहों के हो सरताज -2

M:- कौरवों पर दृष्टि पड़ी मति गई बोराय
राज्य पाठ जिन भाइयों से युद्ध है करने आए
एक-एक कौरव मर गया कूल का हो गया नाश
पांडव देखो बन गए कौरव काल कपास
हरीश चंद्र पर दृष्टि पड़ी नारी गई विकार
योम के घर एक राजा से सनी पानी भरवाए
योम का काज करा रहे हरीश चंद्र महाराज
अपना पुत्र जलाने को मांगे मयूरी आज
कोरस :- जय जय शनि महाराज तुम ग्रहों के हो सरताज -2

M:- दृष्टि ने सनी आपकी ऐसा करा कमाल
 वित्त मदित से राजा का कर डाला बुरा हाल
राजपाट छुड़वा दिया वन वन में भटका
तेली के घर राजा से कोलू थे पीलवा
राजा के सिर धरवाया चोरी का इल्जाम
हाथ पैर तोड़वाय के दिए थे कष्ट तमाम
राजा ने शनि नाम लिया गाया दीपक राज
 वक्र दृष्टि को हटाए के लौट आए सब ठाठ
कोरस :- जय जय शनि महाराज तुम ग्रहों के हो सरताज-2

M:- सातवाहन आपके शनि देवा है सुजान
अलग अलग फल देते हैं कहते वेद पुराण
बज्र वाहन असवार हो लक्ष्मी ग्रह आ जाए
गर्दभ जब असवार हो हनी बहुत कर जाए
सिंह सवारी आपकी सिद्ध करे सब काज
जंबू को भक्तों की बुद्धि का कर देता है विनाश
मृग सवारी आए जो हर लेते हैं प्राण
स्वान सवारी आपकी जोरी का आभान
कोरस :- जय जय शनि महाराज तुम ग्रहों के हो सरताज-2

M:- चार चरण है आपके स्वर्ण लोहा चांदी तांबा
जैसे चरण आए प्रभु वैसा बनाए काम
लोहा चरण जब आए तो हो संपत्ति का नाश
तांब चरण प्रभु आपका करता सब शुभ काम
स्वर्ण का चरण है आपका अति शुभ फल दे जाए
चांदी चरण प्रभु आपका सगरे काज बनाएं
साढ़ेसाती आपकी कर्मों का फल दे
आत्मा को यह शुद्ध करें कष्ट सभी हर ले
कोरस :- जय जय शनि महाराज तुम ग्रहों के हो सरताज-2

M:- शनिवार कहे आपने पंडित जो बुलवाएं
शनि चालीसा पाठ करें मुक्ति का फल पाए
काले तिल और तेल उड़द शनि को कराएं स्नान
काला कपड़ा दान दे पाय सभी सम्मान
शनि दान महादान है कर लो शनि का दान
जीवन में सुख भोग के जाओगे शनि के धाम
शनि मंदिर की मिट्टी से चंदन तिलक लगाए
शनि प्रेम का पात्र बने शनि कृपा मिल जाए
कोरस :- जय जय शनि महाराज तुम ग्रहों के हो सरताज-2
 

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