धूम मची खाटू नगरी में गूंजे जय जयकार
सतरंगी फागण का मेला फिर आया एक बार
१
एक बरस में रंग रंगीला जब ये मेला आये
हर इक प्रेमी का दिल खाटू जाने को ललचाये
श्याम प्रेमियों का होता ये सबसे बड़ा त्यौहार क
२
रींगस से कोई पेट पलनीय कोई पैदल जाये
रंग बिरंगी श्याम ध्वजाये लहर लहर लहराए
हनुमत संग भक्तो के चलता लीले का असवार
३
श्याम प्रेमियों से भर जाती है खाटू की गलिया
ऐसा लगता है खाटू में आ गयी पूरी दुनिया
खाटू वाले श्याम धणी का करने को दीदार
४
अजब खुमारी चढ़ जाती कुंदम खाटू में आकर
सभी नाचते चंग बजा बाबा को रंग लगाकर
संजय के गाये भजनो से गूंज रहा दरबार
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