Current Date: 15 Nov, 2024

सारे जग को छोड़

- Deepak Ram


सारे जग को छोड़ बाबा आया तेरे द्वार 
मेरी डूबी नैया का है तू ही पतवार 
गाल वैजन्ती माला है और लंगोटा है लाल 
अब तो जल्दी आजा बाबा आया तेरे द्वार 
सारे जग को छोड़ बाबा आया तेरे द्वार 
मेरी डूबी नैया का है तू ही पतवार 
                     १
सारी दुनिया को ठुकराया हु तेरी ही आस लेके आया हु 
चारो और छाया अँधेरा है तेरे द्वारे में सर झुकाया हु 
नैया है बिच भवर में मुझे रास्ता दिखा 
अब तो जल्दी अजा कौन है तेरे सिवा
सारे जग को छोड़ बाबा आया तेरे द्वार 
मेरी डूबी नैया का है तू ही पतवार 
                     २
संकट ने मुझे रुलाया है हरपल मुझको तो सताया है 
पग पग में ठोकर खाया हु सिर्फ निराशा ही पाया हूँ 
मेहंदीपुर के बाबा मेरा करना कल्याण 
अब तो जल्दी अजा बाबा में हु परेशान 
सारे जग को छोड़ बाबा आया तेरे द्वार 
मेरी डूबी नैया का है तू ही पतवार 
लेखक :- दीपक राम
 

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