Current Date: 17 Nov, 2024

सांवरे के रहते क्यूँ

- संजय मित्तल जी।


सांवरे के रहते क्यूँ,
तू घबराता है,
भावों के आंसू क्यूँ,
ना चरणों में बहाता है,
सांवरे के रहते क्यूँ।।

तर्ज – आदमी मुसाफिर है।

आंसू की भाषा ये जानता है,
अपने पराए को पहचानता है,
आंसू की धारा में बह जाता है,
साँवरे के रहते क्यूँ,
तू घबराता है,
भावों के आंसू क्यूँ,
ना चरणों में बहाता है,
सांवरे के रहते क्यूँ।।

नरसी सुदामा ने बात बताई,
आंसू के बदले मिलते कन्हाई,
बिन मांगे सबकुछ मिल जाता है,
साँवरे के रहते क्यूँ,
तू घबराता है,
भावों के आंसू क्यूँ,
ना चरणों में बहाता है,
सांवरे के रहते क्यूँ।।

जिस ने दो आंसू दर पे गिराए,
पलकों पे उसको अपने बिठाए,
बिगड़ा नसीबा संवर जाता है,
साँवरे के रहते क्यूँ,
तू घबराता है,
भावों के आंसू क्यूँ,
ना चरणों में बहाता है,
सांवरे के रहते क्यूँ।।

मंदिर में इनके जब जब मैं आया,
ठाकुर से अपने नैना मिलाया,
श्याम कहे दिल मेरा भर आता है,
साँवरे के रहते क्यूँ,
तू घबराता है,
भावों के आंसू क्यूँ,
ना चरणों में बहाता है,
सांवरे के रहते क्यूँ।।

सांवरे के रहते क्यूँ,
तू घबराता है,
भावों के आंसू क्यूँ,
ना चरणों में बहाता है,
सांवरे के रहते क्यूँ।।

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