संतोषी माता मंदिर
हरि नगर के पवित्र माँ संतोषी मंदिर की स्थापना 3 जुलाई 1981 को सतगुरु श्री शमशेर बहादुर सक्सेना जी और उनकी पत्नी सतगुरु माँ श्रीमती कांता सक्सेना जी ने की थी। हरि नगर का मंदिर जोधपुर संतोषी माता मंदिर की प्रेरणा से स्थापित किया गया है। जो पहाड़ों से घिरी अति पुरानी लाल सागर नामक प्रसिद्ध झील में स्थित है।
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मंदिर के गर्भग्रह में तीन देवियाँ क्रमश माँ वैष्णो, माँ संतोषी तथा माँ सरस्वती विराजमान हैं। इन तीनों देवियों की सेवा में निरंतर तत्पर श्री हनुमंत लाल गर्भग्रह के बाँये द्वार पर उपस्थित हैं। मंदिर में तीन देवियों का एक साथ गर्भग्रह मे होना, मुंबई तथा पुणे की महालक्ष्मी मंदिरों से समान ही जान पड़ता है।
श्री माता वैष्णो देवी जी को तीन सर्वोच्च ऊर्जाओं अर्थात माँ महाकाली, माँ महालक्ष्मी एवं माँ महासरस्वती का एक अवतार माना जाता है। माँ संतोषी की अष्टधातु मूर्ति एशिया में अपनी ही तरह की सबसे बड़ी और विशाल मूर्ति है। भक्तजन माता के इस रूप के दर्शन केवल शुक्रवार और मंदिर के अन्य सभी त्यौहारों पर प्राप्त कर सकते हैं।
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मंदिर में शुक्रवार शाम 6:00 बजे तथा रविवार सुबह 9:00 बजे देवी संतोषी की एवं मंगलवार शाम 6:00 बजे देवी वैष्णो की चौकी का आयोजन होता है, जिसके अंतर्गत माँ का भक्तों के साथ संवाद स्थापित होता है।
मंदिर में सभी भक्तों के लिए प्रत्येक मंगलवार, शुक्रवार और रविवार को भंडारे का आयोजन किया जाता है। नवरात्रि के समय मंदिर 24 घंटे भक्तों के दर्शन के लिए खुला रहता है। प्रत्येक वर्ष नौ फरबरी को अष्टधातु मूर्ति स्थापना दिवस मनाया जाता है।
Santoshi Mata Mandir
Pavitra Mata Santoshi Temple of Hari Nagar was established on 3 July 1981 by Satguru Shri Shamsher Bahadur Saxena ji and his wife Satguru Maa Smt. Kanta Saxena ji. The temple of Hari Nagar has been established with the inspiration of Jodhpur Santoshi Mata Temple. Which is located in the famous lake called the very old Red Sea surrounded by mountains.
100th Chaitra Navratri 2022 Mela: April 2 to April 9
In the temple garbhagriha, three Devis, Maa Vaishno, Maa Santoshi and Maa Saraswati are seated respectively. Shri Hanumant Lal is present at the left door of Garbhagraha continuously ready to serve these three Devi`s. Three Devi`s in the temple together in the garbhagriha, seems similar to the Mahalakshmi temples in Mumbai and Pune.
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Shri Mata Vaishno Devi Ji is considered to be an incarnation of the three highest energies, namely, Maa Mahakali, Maa Mahalakshmi and Maa Mahasaraswati. The Ashtadhatu statue of Maa Santoshi is the largest in Asia. Devotees can get darshan of this form of Mata only on Fridays and all other festivals of the temple.
Mata Santoshi`s chowki in the temple is held at 6:00 pm on Friday and at 9:00 pm on Sunday and Devi Vaishon`s chowki held at 6:00 pm on Tuesday, under which Devotees worship Mata with peace of mind.
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