Vighnaraja Sankashti Chaturthi Vrat 2023: नारद पुराण के अनुसार संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से घर में सुख, समृद्धि आती है. बप्पा की कृपा से हर बिगड़े काम बन जाता है. सूर्योदय से शुरू होने वाला संकष्टी व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही समाप्त होता है, साल भर में 12 संकष्टी व्रत रखे जाते हैं. अश्विन माह की संकष्टी चतुर्थी को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी कहते हैं.
इस दिन गौरी पुत्र गजानन की पूजा करने से यश, धन, वैभव और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. अश्विन माह की संकष्टी चतुर्थी का व्रत नियमानुसार ही संपन्न करना चाहिए, तभी इसका पूरा लाभ मिलता है. आइए जानते हैं अश्विन माह की विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत की डेट, मुहूर्त और चंद्रोदय समय
अश्विन विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2023 डेट (Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2023 Date)
इस साल अश्विन माह की विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2 अक्टूबर 2023, सोमवार को है. अपने नाम स्वरूप विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत जातक के सारे विघ्न समाप्त करता है. उसे जीवन में खुशियां, सौभाग्य प्राप्त होते हैं.
अश्विन संकष्टी चतुर्थी 2023 मुहूर्त (Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2023 Muhurat)
पंचांग के अनुसार अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी तिथि 2 अक्टूबर 2023 को सुबह 07 बजकर 36 मिनट पर शुरू होगी. 03 अक्टूबर 2023 को प्रात: 06 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी.
गणपति की पूजा का समय - शाम 04.37 - रात 07.37
अश्विन विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2023 चंद्रोदय समय (Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2023 Moon time)
हर माह दो चतुर्थी आती है, एक संकष्टी चतुर्थी और दूसरी विनायक चतुर्थी. संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमा की पूजा जरुरी मानी गई है, वहीं विनायक चतुर्थी का चांद नहीं देखा जाता है. इस साल अश्विन माह की विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का चांद रात 08.05 पर निकलेगा.
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी महत्व (Vighnaraja Sankashti Chaturthi Significance)
गणेश जी को शुभता का प्रतीक माना गया है, इनकी आराधना से शुभ कार्य सफल हो जाते है. अश्विन माह में विघ्नराज संकष्टि चतुर्थी पर व्रत रखकर गणपति जी की पूजा करने से सुख-समृद्धि का वास होता है. चतुर्थी व्रत के प्रभाव से जातक की हर बाधा दूर हो जाती है, समस्त संकट टल जाते हैं. पितृ पक्ष में इस दिन चतुर्थी तिथि का श्राद्ध भी किया जाता है.
पूजाविधि:
- सुबह जल्दी उठें और स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें।
- घर का मंदिर साफ करें और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
- गणेश जी के सामने घी का दीपक प्रज्जवलित करें।
- उन्हें फल, फूल, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- गणेश जी को मोदक, लड्डू या खीर का भोग लगाएं।
- अब उनकी विधिवत पूजा करें और बाद में आरती उतारें।
- इसके बाद गणेशजी के मंत्रों का जाप करें।
- संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा सुनें।
- शाम के समय भी गणेशजी की विधिविधान से पूजा करें।
- चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव को जल अर्पित करें।
अगर आपको यह भजन अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अन्य लोगो तक साझा करें।