Current Date: 22 Jan, 2025

समय समझायेगा | ( Samay Samjhayega)

- Mohit lalwani


मुस्कान अधरों पर लिए

क्यूँ मैं सदा चुप ही रहा

मुस्कान अधरों पर लिए

क्यूँ मैं सदा चुप ही रहा

पावन तुम्हारे प्रेम को

क्यूं मोह था मैंने कहा

र बात समझना सदा

संभव नहीं राधे

समय समझाएगा

हर बात समझना सदा

संभव नहीं राधे

समय समझाएगा

संभव नहीं होते कभी

यहाँ प्रश्नों के उत्तर सभी

 

मुस्कान अधरों पर लिए

क्यूँ मैं सदा चुप ही रहा

मुस्कान अधरों पर लिए

क्यूँ मैं सदा चुप ही रहा

पावन तुम्हारे प्रेम को

क्यूं मोह था मैंने कहा

बात समझना सदा

संभव नहीं राधे

समय समझाएगा

हर बात समझना सदा

संभव नहीं राधे

समय समझाएगा

संभव नहीं होते कभी

यहाँ प्रश्नों के उत्तर सभी

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