साईं अमृतवाणी
M:- सच्चिदानंद श्री सतगुरु भक्तों साईं नाथ
राजा धीराज है सदा भक्त जनों के साथ
शिर्डी में विराजते भक्तों के सरताज
चरण शरण में आए जो पूर्ण होते काज
कलयुग में भवतारने तुमने धरा अवतार
भक्तों की नैया डोलती साईं लगाते पार
साईं अवतरण की कथा भक्तों सुनिए आए
मात्र सर्मण से दूर हो पाप ताप संताप
कोरस:- श्री साईनाथ महाराज शिरडी के सरताज -2
M:- सबसे पहले साईं के चरनन शीश नवाए
सच्ची वाणी से भक्तों साईं का गुण गाए
कैसे शिर्डी में आए हैं सारा हाल सुनाएं
सारा चरित्रमय आपको गाकर के बतलाए
कौन है माता कौन पिता कोई जान ना पाए
जन्म स्थान श्री साईं का कोई ना बतलाए
कोई कहे यह राम है कोई कहे यह श्याम
कहे गणपति कोई तो कोई कहे हनुमान
कोरस:- श्री साईनाथ महाराज शिरडी के सरताज -2
M:- कोई शिव के नाम से पूजत है हर बार
कोई कहे श्री साईं हैं दत्तगुरु अवतार
अलग रूप अरुनाम से भक्त है पूजे जाए
शिर्डी जाकर आपका पावन दर्शन पाए
कैसे शिर्डी आए थे भक्तों में बतलाए
साईं के प्रातट की पावन कथा सुनाएं
शिर्डी भक्तों आई थी एक दिन एक बारात
एक सुंदर बालक आया उस बारात के साथ
कोरस:- श्री साईनाथ महाराज शिरडी के सरताज -2
M:- उस बालक ने कर लिया शिर्डी अपना धाम
बालक आने से हुआ शिरडी पावन धाम
नीम तरे डेरा डाला भिक्षा मांग के खाए
सबका मालिक एक है भक्तन को बतलाए
धीरे-धीरे साईं की चाहती बढ़ती जाए
जो आए इन चरणों में मन की मुरादे पाए
निर्धन को धन धान मिले बाझन को संतान
कोड़ी की काया बने भक्तों स्वर्ण समान
कोरस:- श्री साईनाथ महाराज शिरडी के सरताज -2
M:- भक्त सभी करने लगे साईं का गुणगान
दर पे सब आने लगे हिंदू या मुसलमान
कैसे साईं भक्त बना भक्तों का श्री राम
पावन कथा सुनाऊंगा सुनिए लगाकर ध्यान
धन और धान्य कमाई के काशीराम था आए
चोर लुटेरे फिर उसके सन्मुख भक्तों आए
एक चोर ने कर दिया पीछे सर पर प्रहार
हे साईं मुख से निकला मूर्छा आई अपार
कोरस:- श्री साईनाथ महाराज शिरडी के सरताज -2
M:- बाबा ने फिर जान लिया भक्त के मन का भेद
उसकी मदद को भेज दिया साईं ने भगत था एक
धन माल और जान सभी भक्त का सब बच जाए
काशीराम ने साई के जय जय कारे गाए
जैसे ही जब भक्त कोई लेता साईं का नाम
किसी रूप में भी आ जाते भक्त का करने काम
आफत ग्रस्त भक्त कोई साई ना रहने दे
कृपा रूप दिखाएं के आफत सब हर ले
कोरस:- श्री साईनाथ महाराज शिरडी के सरताज -2
M:- शिर्डी के पुजारी सभी करते थे भेदभाव
पर शिर्डी के साईं थे करते सबसे प्यार
हिंदू मुस्लिम सिख सभी साईं के दर आए
मंदिर मस्जिद वेद सभी साईं के दर मिट जाए
लीला मेरे साईं की कोई जान ना पाए
कड़वे नीम को देवा ने मीठा दिया बनाएं
द्वारकामाई मस्जिद में धूनी रही रमाएं
भक्त जनों के दुख सभी साईं दूर भगाएं
कोरस:- श्री साईनाथ महाराज शिरडी के सरताज -2
M:- देह त्याग करते समय ग्यारह वचन है भराए
भक्तों के संग वचनों में साईं मेरे बंध जाएं
जो शिरडी में आयेगा आफत दूर भगाएं
पहला वचन साईं देवा भक्तों को दे जाएं
चढ़े समाधि की सीढ़ी दुख सभी मिट जाए
दूजे वचन में सतगुरु भक्तों से बंध जाएं
चाहे शरीर को त्याग दूं करूंगा बेड़ा पार
तीजा बचन यह भक्तों को दिए साई सरकार
कोरस:- श्री साईनाथ महाराज शिरडी के सरताज -2
M:- मुझ में मेरे भक्तजनों रखना दृढ़ विश्वास
चौथा वचन समाधि मेरी पूर्ण करेंगी आज
मुझको मेरे भक्तजनों जीवित तुम मानो
पांचवा वचन यह है मेरा सत्य को पहचानो
मेरी शरण जो आएगा खाली ना वो जाए
छठा वचन यह है मेरा कोई हो तो बतलाए
जिसने भी जिस रूप में देखा मेरी ओर
सातवां वचन यह है मेरा थामो उसकी डोर
कोरस:- श्री साईनाथ महाराज शिरडी के सरताज -2
M:- सदा मैं अपने भक्तों का भरता रहूंगा भार
आठवां वचन यह है मेरा करता रहूंगा प्यार
आओ मेरी समाधि पे सहायता लो भरपूर
नोवा बचन यह है मेरा नहीं मैं तुमसे दूर
मन क्रम वचन से भक्त जो मुझ में लीन हो जाए
दसवा बचन यह है मेरा फिर ना चुकने पाए
धन्य धन्य मेरे भक्त हो भक्ति करें अनंत
चंदन वचन यह ग्यारहवां शरण तजे ना अंग
कोरस:- श्री साईनाथ महाराज शिरडी के सरताज -2
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