Current Date: 08 Sep, 2024

सफला एकादशी

- Traditional


M:-        सफला एकादशी की भक्तो कथा सुनाता हूँ 
मै कथा सुनाता हूँ 
एकादशी के व्रत की पावन महिमा गाता हूँ 
मै कथा सुनाता हूँ
कैसे लुम्पक पापी को मिला स्वर्ग बताता हूँ 
मै कथा सुनाता हूँ 
सफला एकादशी की भक्तो कथा सुनाता हूँ 
मै महिमा गाता हूँ 
कोरस:-     सब सुनो लगा के ध्यान हो जायेगा कल्याण 
हर है शब्द मोक्ष समान हो जायेगा कल्याण 

M:-        चम्पावती नगर का राजा महिष्मान था नाम 
पूजा भक्ति जनता सेवा करता था निश्काम
कोरस:-     सेवा करता था निश्काम
M:-        लुम्पक नाम का उसका बेटा बड़ा दुराचारी 
मदिरा मांस का सेवन करता पापी था भारी 
कोरस:-     पापी था भारी
M:-        पर नारी के गमन में डूबा रहता था दिन रात  
बुला के वैश्या महल में अपने रहता था उनके साथ 
कोरस:-      लुम्पक रहता उनके साथ 
M:-        राजा प्रजा सभी दुखी  थे नीच अधर्मी से 
हो गई थी बदनाम वो नगरी अधम विधर्मी से 
कोरस:-      अधम विधर्मी से 

M:-        क्या होता है उसके साथ अब वही बताता हूँ 
पावन कथा सुनाता हूँ 
सफला एकादशी की भक्तो कथा सुनाता हूँ 
मै महिमा गाता हूँ 
कोरस:-     सब सुनो लगा के ध्यान हो जायेगा कल्याण 
हर है शब्द मोक्ष समान हो जायेगा कल्याण 

M:-        महिशमन राजा ने पुत्र की देख के टेढ़ी चाल 
एक रोज फिर क्रोध में आ के राज्य से दिया निकाल 
कोरस:-      उसको राज्य से दिया निकाल 
M:-        कर के घोषणा पुरे राजय में फैला दी ये बात 
नीच अधर्मी उस लुम्पक का कोई ना देगा साथ 
कोरस:-     कोई ना देगा साथ     
M:-        अपनी करनी पर पछताता चला गया वन में 
सोचा ना था ऐसा भी दिन आएगा जीवन में 
कोरस:-     दिन आएगा जीवन में 
M:-        पीपल का एक वृक्ष था बन में जो था बड़ा विशाल 
आते देव वहां पे प्रतिदिन प्रातः संध्या काल 
कोरस:-     प्रतिदिन प्रातः संध्या काल 
M:-        करता है क्या वहां पे लुम्पक वो बतलाता हूँ 
पावन कथा सुनाता हूँ 
सफला एकादशी की भक्तो कथा सुनाता हूँ 
मै महिमा गाता हूँ 
कोरस:-     सब सुनो लगा के ध्यान हो जायेगा कल्याण 
हर है शब्द मोक्ष समान हो जायेगा कल्याण 


M:-        रहने लगा राजा का बेटा पीपल के निचे 
कल तक जिसके नौकर चकार थे आगे पीछे 
कोरस :-     नौकर थे आगे पीछे 
M:-        फिर भी उसकी एश्वर्य की आदत नहीं गई 
पर नारी के गमन की उसकी चाहत नहीं गई 
कोरस :-      उसकी चाहत नहीं गई 
M:-        अपने पिता के राज्य में जा के करने लगा चोरी  
स्त्री कोई मिल जाती तो करता बरजोरी 
कोरस :-     लुम्पक तो करता बरजोरी 
M:-        पौष मॉस के कृष्ण पक्ष के दशमी की है बात 
लूट मार करने राज्य में पहुंचा  उस रात 
कोरस :-     राज्य में पहुंचा  उस रात 
M:-        पकड़ा जब सैनिको ने फिर क्या हुआ दिखाता हूँ 
पावन कथा सुनाता हूँ 
सफला एकादशी की भक्तो कथा सुनाता हूँ 
मै महिमा गाता हूँ 
कोरस:-     सब सुनो लगा के ध्यान हो जायेगा कल्याण 
हर है शब्द मोक्ष समान हो जायेगा कल्याण 

M:-        मारा पीटा वस्त्र उतारा वन में भेज दिया 
जंगल में लुम्पक  को नंगे तन में भेज दिया 
कोरस:-     नंगे तन में भेज दिया 
M:-        लुम्पक अब पीपल के निचे वन में रहने लगा 
पशु पक्षी को मार के अपने उदर को भरने लगा 
कोरस:-     उदर को भरने लगा 

M:-        अब आगे की कथा सुनो ऐसा संयोग हुआ 
उस लुम्पक के अंगो में गठिया का रोग हुआ 
कोरस:-     गठिया का रोग हुआ 
M:-        अकड़ गए थे हाथ पांव चलना हुआ मुहाल 
अब ईश्वर की  महिमा का तुम देखो माया जाल 
कोरस:-     भक्तो  देखो माया जाल 
M:-        क्या होता है लुम्पक का अब हाल दिखाता हूँ 
पावन कथा सुनाता हूँ 
सफला एकादशी की भक्तो कथा सुनाता हूँ 
मै महिमा गाता हूँ 
कोरस:-     सब सुनो लगा के ध्यान हो जायेगा कल्याण 
हर है शब्द मोक्ष समान हो जायेगा कल्याण 

M:-        चलने से असमर्थ हो गया कैसे करे शिकार 
गठिया वेदना के आगे ली मान थी उसने हार 
कोरस:-     लुम्पक ली  मान थी उसने हार 
M:-        कैसे शांत करे वो अपने पेट  की उठती आग 
किसी शिकारी के पीछे वो सकता नहीं था भाग 
कोरस:-     सकता नहीं था भाग 
M:-        जंगल में से गिरे फलो को लुम्पक लाया बीन 
पीपल की जड़ो में रख  के बोला हो  ग़मगीन 
कोरस:-      बोला हो कर के  ग़मगीन 
M:-        हे ईश्वर अब आप ही इसका आ के लगाओ भोग 
भूखे मर के मै इस जग से जाऊंगा परलोक 
कोरस:-     जग से जाऊंगा परलोक 

उस दिन कैसे भूखा रहा मै वही बताता हूँ 
पावन कथा सुनाता हूँ 
सफला एकादशी की भक्तो कथा सुनाता हूँ 
मै महिमा गाता हूँ 
कोरस:-     सब सुनो लगा के ध्यान हो जायेगा कल्याण 
हर है शब्द मोक्ष समान हो जायेगा कल्याण 

M:-        सारी रात उसे दिन ना आयी करता रहा भजन 
गठिया रोग से लगता था निर्जीव हो गया तन 
कोरस:-     निर्जीव हो गया तन 
M:-        सूर्य देव की बेला में अलौकिक दृश्य दिया 
उतर रहा था स्वर्ग से भक्तो दिव्य सा अश्व दिखा 
कोरस:-      उसको दिव्य सा अश्व दिखा 
M:-        प्रगट हुआ लुम्पक के आगे अश्व चमत्कारी 
गुंजी फिर आकाश से एक आवाज वहां भारी 
कोरस:-      आवाज वहां भारी 
M:-        सफला एकादशी का लुम्पक तूने किया पालन 
जिसके असर से लुम्पक तेरा धन्य हुआ जीवन 
कोरस:-     तेरा धन्य हुआ जीवन 
M:-        बदल गए दिन लुम्पक तेरे मै समझाता हूँ 
पावन कथा सुनाता हूँ 
सफला एकादशी की भक्तो कथा सुनाता हूँ 
मै महिमा गाता हूँ 
कोरस:-     सब सुनो लगा के ध्यान हो जायेगा कल्याण 
हर है शब्द मोक्ष समान हो जायेगा कल्याण 

M:-        लुम्पक तू इस दिव्य अश्व पे हो के अभी सवार 
बिना रुके  तू तीव्र गति से पहुंचा  राजदरबार 
कोरस :-     लुम्पक पहुंचा राजदरबार 
M:-        राज्य में तुझको राजा जैसे मिले मान सम्मान 
एकादशी के व्रत के बदले मिलेगा ये अनुदान 
कोरस :-     मिलेगा ये अनुदान 
M:-        अपने पिता के पास गया वो हो के अश्व सवार 
पिता ने अपने पुत्र का भक्तो किया बहुत सत्कार 
कोरस :-     पुत्र का किया बहुत सत्कार 
M:-        अपने पुत्र को राज्य सोप के वन को चले गए 
तप में तपाने वो अपने जीवन को चले गए 
कोरस :-     दोनों वन को चले गये 
M:-        हाथ जोड़ कर सुखदेव सभी को शीश झुकाता है 
पावन कथा सुनाता हूँ 
सफला एकादशी की भक्तो कथा सुनाता हूँ 
मै महिमा गाता हूँ 
कोरस:-     सब सुनो लगा के ध्यान हो जायेगा कल्याण 
हर है शब्द मोक्ष समान हो जायेगा कल्याण 

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