दोहा :- गली गली में बज रहे ढोल मंजीरा चंग
बरसने में सावरो रंग खेले राधा संग
स्थायी :- सावरिया सावरिया सावरिया होली खेले
कोरस:- सावरिया होली खेले भर भर पिचकारी खेले
स्थायी :- सावरिया होली खेले भर भर पिचकारी खेले
कोरस :- सावरिया होली खेले भर भर पिचकारी खेले -२
अंतरा :- ना सखियन की दहशत खावे उल्टो ऊपर को अर रावे
तोड़ :- धक्का से धक्का से धक्का से दूर धकेले भर भर पिचकारी खेले
कोरस :- सावरिया होली खेले भर भर पिचकारी खेले
अंतरा :- राधा की हालत बुरी कृ चुंनरिया रंग में हरी करी
तोड़ :- जैसे होते जैसे होते जैसे होते हरे करे ले भर भर पिचकारी खेले
अंतरा :- ये तीर चला के आखियो से श्री राधा जी की सखियों से
अंतरा :- ये तीर चला के आखियो से श्री राधा जी की सखियों पे
तोड़ :- रंग डारे रंग डारे रंग डारे नए नवेले भर भर पिचकारी खेले
कोरस :- सावरिया होली खेले भर भर पिचकारी खेले -२
अंतरा :- कहे खत्री राज अनाड़ी से चाला की और हुई यारी से
तोड़ :- लट्ठों का लट्ठों का लट्ठों का झटका झेले भर भर पिचकारी खेले
स्थायी :- सावरिया होली खेले भर भर पिचकारी खेले
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