M:- नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।
कोरस :- नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।
M:- निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥
कोरस :- निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥
M:- निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
कोरस:- गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
M:- करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥
कोरस :- गुणागार संसार पारं नतोऽहम् | गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥
M:- तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
कोरस :- तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
M:- स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥
कोरस :- स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥
M:- चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
कोरस :- प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् । प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
M:- मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥
कोरस :- मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥
M:- प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
कोरस :- अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् । अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
M:- त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥
कोरस :- त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥
M:- कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
कोरस :- सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी। सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
M:- चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥
कोरस :- प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥
M:- न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
कोरस :- न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
M:- न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥
कोरस :- प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥
M:- न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
कोरस :- न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
M:- जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥
कोरस :- जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥
M:- नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।
कोरस :- नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।
M:- निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥
कोरस :- निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥
M:- सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम
राधेश्याम राधेश्याम राधेश्याम राधेश्याम
राजा राम राजा राम राजा राम राजा राम
सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम
राजा राम राजा राम राजा राम राजा राम
M:- रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये ये पठन्ति नरा भक्तयां
तेषां शंभो प्रसीदति।।
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