Current Date: 25 Nov, 2024

रींगस नगरी, खाटू माहीं

- सुनीता यादव


रींगस नगरी, खाटू माहीं,
बण्यो तिहारो धाम,
बालू रेत में, मार चौकड़ी,
बैठ्यो बाबो श्याम,
भक्ता आवे रै दूर से चाल,
खाटू में आके कइयाँ बैठ्यां,
कितनो प्यारो है, तिहारो यो देस,
खाटू में आके कइयाँ बैठ्यां,
खाटू में आके कइयाँ बैठ्यां।


जब जब जी घबरावे म्हारों,
हम खाटू आ जावां,
खाटू नगरी पहुँच के बाबा,
दिल का हाल सुणावा,
म्हाने अपनों सो लागे बाबो श्याम,
खाटू में आके कइयाँ बैठ्यां,
कितनो प्यारो है, तिहारो यो देस,
खाटू में आके कइयाँ बैठ्यां।

जो भी हारा किस्मत से,
बाबा तुमने दिया सहारा,
एक बार जो खाटू आवे,
आवे बारम्बार,
उसने चिंता ना सतावे,
कदे फेर, (फिर कभी )
खाटू में आके कइयाँ बैठ्यां,
कितनो प्यारो है, तिहारो यो देस,
खाटू में आके कइयाँ बैठ्यां।


 रंग बिरंगा भगत देख के,
मस्ती जागे न्यारी,
पेट पलानियाँ आवे कोई,
पैदल आवे भारी,
थारी दासी सुनीता,
सुनीता गावे भाव,
रीझे रे बड़े चाव,
खाटू में आके कइयाँ बैठ्यां,
कितनो प्यारो है, तिहारो यो देस,
खाटू में आके कइयाँ बैठ्यां।
खाटू में आके कइयाँ बैठ्यां,
कितनो प्यारो है, तिहारो यो देस,
खाटू में आके कइयाँ बैठ्यां,
खाटू में आके कइयाँ बैठ्यां।

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