गिलहरी की पीठ पर धारियां होने का क्या कारण है?
आप सभी ने गिलहरी को इधर से उधर, कभी ज़मीन पर तो कभी पेड़ों पर फुदकते तो देखा ही होगा, मगर क्या आप जानते हैं कि गिलहरी की पीठ पर जो लकीरें दिखती हैं वो महज़ एक निशान नहीं है। दरअसल इसके पीछे भी एक रोचक किस्सा है जिसके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे तो चलिए आपको ले चलते हैं इस किस्से की शुरुआत की ओर।
इसे भी देखें : हनुमान जी को बजरंग बली क्यों कहते है
ये बात है आज से पांच हजार साल पहले की जब सतयुग में लंका का राजा रावण मां सीता को छल से उठा ले गया था। सीता की खोज में दशरथ नंदन श्री राम ने धरती आकाश को एक कर दिया फिर उन्हें पता लगा कि सीता को रावण अपनी सोने की लंका में ले गया है मगर समस्या ये थी कि लंका तक जाने के लिए इस विशालकाय समुद्र को कैसे पार किया जाए। ऐसे में एक महऋषि ने राम को बताया कि आपकी सेना में नल और नील नामक दो योद्धा हैं, जिन्हें ये वरदान प्राप्त है कि वो जिस भी पत्थर को पानी में फेकेंगे वो कभी डूबेगा नहीं। फिर क्या था देखते ही देखते समुद्र पर पुल बनाने का काम शुरू हो गया। नल और नील द्वारा पत्थरों पर श्री राम लिखकर समुद्र में फेंका जाने लगा। तभी अचानक श्री राम की नज़र एक छोटी गिलहरी पर पड़ी वो उस गिलहरी को बड़े ध्यान से देख रहे थे क्यों कि वो गिलहरी भी अपने छोटे छोटे हाथों में कंकड़ पत्थर लेकर समुंद्र में डाल रही थी। राम काफी देर से उस गिलहरी का ये कारनामा देख रहे थे जब उनसे नहीं रहा गया तब उन्होंने गिलहरी से पूछा कि तुम ये क्या कर रही हो। तब गिलहरी ने बताया कि मेरे ये छोटे छोटे पत्थर इन बड़े बड़े पत्थरों के बीच रह गई खाली जगहों को भरने का काम करेंगे और वैसा ही हुआ गिलहरी की मेहनत ज़ाया नहीं हुई उसके छोटे छोटे पत्थरों से पुल की मजबूती और बढ़ गई। श्री राम ये देखकर हैरान थे और उस गिलहरी से बेहद प्रसन्न भी इसलिए उन्होंने गिलहरी की पीठ पर हाथ फेरते हुए उसको आशीर्वाद दिया। माना जाता है कि उसी दिन से ही गिलहरी की पीठ पर श्री राम के हाथों के निशान हैं जो श्री राम के आशीर्वाद का प्रतीक है।
इसे भी देखें : महाशिवरात्रि स्पेशल अनुराधा पौडवाल शिव भजन
तो यही थी गिलहरी के पीठ पर उस निशान की कहानी। अगर आपको हमारी ये जानकारी पसंद आई हो तो इस लेख को शेयर और कमेंट करना बिलकुल भी ना भूलें।
What is the reason for the stripes on the squirrel's back?
All of you must have seen the squirrel jumping from here to there, sometimes on the ground and sometimes on the trees, but do you know that the lines seen on the back of the squirrel are not just a mark. Actually there is an interesting story behind this too, about which you might not know, so let's take you towards the beginning of this story.
Also See This : Why Hanuman Ji Is Called Bajrang Bali
This is a matter of five thousand years ago when in the Satyuga, the king of Lanka, Ravana had abducted mother Sita by deceit. In search of Sita, Dashrath Nandan Shri Ram united the earth and sky, then he came to know that Ravana has taken Sita to his golden Lanka, but the problem was that how to cross this huge sea to reach Lanka. In such a situation, a sage told Ram that there are two warriors named Nal and Neel in your army, who have a boon that whatever stone they throw in the water, it will never drown. Then what was there, the work of building a bridge on the sea started. Shri Ram was written on the stones by Nal and Neel and were thrown into the sea. Then suddenly Shri Ram's eyes fell on a small squirrel, he was watching that squirrel very carefully because that squirrel was also throwing pebbles in its small hands into the sea. Ram was watching this act of that squirrel for a long time, when he could not bear it, then he asked the squirrel what are you doing. Then the squirrel told that these small stones of mine will work to fill the empty spaces left between these big stones and it happened that the hard work of the squirrel did not go waste, the strength of the bridge increased with its small stones. Shri Ram was surprised to see this and very pleased with that squirrel, so he blessed the squirrel by turning his hand on its back. It is believed that since that day the squirrel has the handprints of Shri Ram on its back which is a symbol of the blessings of Shri Ram.
Also See This : Mahashivratri Special Anuradha Paudwal Shiv Bhajans
So that was the story of the mark on the squirrel's back. If you have liked this information of ours, then do not forget to share and comment on this article.
और मनमोहक भजन :-
- शिव तांडव स्तोत्रम्
- महाशिवरात्रि स्पेशल अनुराधा पौडवाल शिव भजन
- शिव सुमिरन से
- हे शिव शंकर भोले बाबा
- शंकर नमामि
- जय हो शिव भोला भंडारी
- कब लोगे खबर भोलेनाथ
- हे शिव पिता परमात्मा
- हे शिव पिता परमात्मा
- आओ महिमा गाए भोले नाथ की
अगर आपको यह भजन अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अन्य लोगो तक साझा करें एवं किसी भी प्रकार के सुझाव के लिए कमेंट करें।
अगर आपको यह भजन अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अन्य लोगो तक साझा करें।