रावण कैसे बना दशानन
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रावण ने वर्षों तक कठोर तप किया लेकिन भगवान शिव प्रसन्न नहीं हुए। इसके बाद रावण ने भगवान शिव को अपना सिर अर्पित करने का निर्णय लिया।
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भगवान शिव की भक्ति में लीन रावण ने अपना सिर काटकर भोलेनाथ को अर्पित कर दिया, लेकिन उसकी मृत्यु नहीं हुई। उसकी जगह दूसरा सिर आ गया। ऐसे एक-एक करके रावण ने अपने 9 सिर भगवान शिव को अर्पित कर दिए।
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जब 10वीं बार उसने अपना सिर भगवान को अर्पित करना चाहता तभी भगवान शिव वहां प्रकट हो गए। वे रावण की भक्ति से काफी प्रसन्न हुए। इसलिए रावण को भगवान शिव का परम भक्त कहा जाता है।
How Ravana became Dashanan
To please Lord Shiva, Ravana did severe penance for years but Lord Shiva was not pleased. After this Ravana decided to offer his head to Lord Shiva.
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Devoted to Lord Shiva, Ravana cut off his head and offered it to Bholenath, but he did not die. Another head came in its place. One by one like this Ravana offered his 9 heads to Lord Shiva.
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Lord Shiva appeared there when he wanted to offer his head to God for the 10th time. He was very pleased with the devotion of Ravana. That's why Ravana is called the supreme devotee of Lord Shiva.
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