Current Date: 22 Dec, 2024
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सीताराम सीताराम सीताराम कहिए - Sita Ram Sita Ram Sita Ram Kahiye

- Pujya Rajan Jee


🎵सीता राम सीता राम कहिए🎵

🙏 गायक: पूज्य राजन जी
🎼 गीत: पारंपरिक

विवरण:
सीता राम सीता राम कहिए गाया हुआ पूज्य राजन जी द्वारा, एक मधुर भजन है जो हमें जीवन की हर परिस्थिति में राम नाम का सहारा लेने और भगवान राम की इच्छा में संतोष करने की प्रेरणा देता है। इस भजन में यह संदेश है कि राम नाम का जाप हमारे मन को शांत करता है और जीवन की कठिनाइयों को स्वीकारने की शक्ति देता है।

भजन में यह बताया गया है कि जीवन की कठिनाइयों और हानि-लाभ को स्वीकार कर, राम के नाम का जाप करते रहना चाहिए। भौतिक इच्छाओं को त्यागकर केवल राम की भक्ति में लीन रहने से ही हमें सच्चा सुख प्राप्त होता है। रामजी का नाम मुख में और सेवा हाथ में रखकर, व्यक्ति अपने जीवन की डोर को भगवान के हाथों सौंपकर संतोषपूर्वक जी सकता है।

गीत के बोल:
सीता राम सीता राम सीता राम कहिये
जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये

मुख में हो राम नाम राम सेवा हाथ में
तू अकेला नाहिं प्यारे राम तेरे साथ में
विधि का विधान जान हानि लाभ सहिये,
जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये

सीता राम सीता राम सीता राम कहिये
जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये

किया अभिमान तो फिर मान नहीं पायेगा
होगा प्यारे वोही जो श्री रामजी को भायेगा
फल की आशा त्याग कर्म करते रहिये
जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये

सीता राम सीता राम सीता राम कहिये
जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये

ज़िन्दगी की डोर सौंप हाथ दीनानाथ के
महलों मे राखे चाहे झोंपड़ी मे वास दे
धन्यवाद निर्विवाद राम राम कहिये
जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये

सीता राम सीता राम सीता राम कहिये
जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये

आशा एक रामजी से दूजी आशा छोड़ दे
नाता एक रामजी से दूजे नाते तोड़ दे
साधु संग राम रंग अंग अंग रंगिये
काम रस त्याग प्यारे राम रस पहीये

सीता राम सीता राम सीता राम कहिये
जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये
यही रात अंतिम .. यही रात भारी

नहीं बन्धु बांधव न कोई सहायक
अकेला है लंका में लंका का नायक
सभी रत्न बहुमूल्य रण में गंवाए
लगे घाव ऐसे की भर भी न पाए
दशानन इसी सोच में जागता है
ये जो हो रहा उसका परिणाम क्या है
ये बाज़ी अभी तक न जीती ना हारी

यही रात अंतिम .. यही रात भारी ..
यही रात अंतिम .. यही रात भारी ..

हो भगवान मानव तो समझेगा इतना
कि मानव के जीवन में संघर्ष कितना
विजय अंततः धर्म वीरों की होती
पर इतना सहज भी नहीं है ये मोती
बहुत हो चुकि युद्ध में व्यर्थ हानि
पहुँच जाये परिणाम तक अब ये कहानी
वचन पूर्ण हो देवता हों सुखारी

यही रात अंतिम .. यही रात भारी ..
यही रात अंतिम .. यही रात भारी ..

समर में सदा एक ही पक्ष जीता
जयी होगी मंदोदरी या कि सीता
किसी मांग से उसकी लाली मिटेगी
कोई एक ही कल सुहागन रहेगी
भला धर्मं से पाप कब तक लड़ेगा
या झुकना पड़ेगा या मिटना पड़ेगा
विचारों में मंदोदरी है बेचारी

यही रात अंतिम .. यही रात भारी ..
यही रात अंतिम .. यही रात भारी ..

ये एक रात मानो युगों से बड़ी है
ये सीता के धीरज कि अंतिम कड़ी है
प्रतीक्षा का विष और कितना पिएगी
बिना प्राण के देह कैसे जियेगी
कहे राम रोम अब तो राम आ भी जाओ
दिखाओ दरस अब न इतना रुलाओ
कि रो रो के मर जाए सीता तुम्हारी

यही रात अंतिम .. यही रात भारी ..
यही रात अंतिम .. यही रात भारी ..

बस एक रात की अब कहानी है सारी

यही रात अंतिम .. यही रात भारी ..
यही रात अंतिम .. यही रात भारी ..

Credit Details :

Song: Sita Ram Sita Ram Kahiye
Singer: Pujya Rajan Jee
Lyrics: Traditional

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