🎵ना जाने कौन से गुन पर🎵
🙏 गायक: पूज्य राजन जी
🎼 गीत: पारंपरिक
विवरण:
ना जाने कौन से गुण पर भजन में भगवान श्रीहरि की असीम कृपा और उनके भक्तों के प्रति स्नेह का भाव प्रकट होता है। इस भजन में विदुर, द्रोपदी, और केवट जैसी कहानियों का वर्णन है, जो भगवान की दयालुता और प्रेम को दर्शाती हैं। भजन यह संदेश देता है कि भगवान अपने भक्तों के गुणों से प्रसन्न होकर उनके जीवन में आते हैं, चाहे उनकी भक्ति साधारण हो या अद्वितीय। यह भजन हरि भक्ति के अनूठे पहलुओं को समझने के लिए एक प्रेरणादायक संदेश देता है।
गीत के बोल:
प्रबल प्रेम के पाले पड़कर,
प्रभु को नियम बदलते देखा,
अपना मान टले टल जाये,
पर भक्त का मान ना टलते देखा।
ना जाने कौन सें गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते है,
यही हरि भक्त कहते है,
यही सदग्रंथ गाते है।।
नही स्वीकार करते है,
निमंत्रण नृप दुर्योधन का,
विदुर के घर पहुंचकर,
भोग छिलको का लगाते है।
ना जाने कौन से गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते है,
यही हरि भक्त कहते है,
यही सदग्रंथ गाते है।।
ना आये मधुपुरी से गोपियो की,
दुख व्यथा सुनकर,
द्रोपदी के बुलाने पर,
द्वारिका से दौड़े आते है,
न जाने कौन से गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते है,
यही हरि भक्त कहते है,
यही सदग्रंथ गाते है।।
न रोये बन गमन सुनकर,
पिता की वेदनाओ पर,
लिटाकर गिद्ध को निज गोद,
में आंसू बहाते है,
न जाने कौन से गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते है,
यही हरि भक्त कहते है,
यही सदग्रंथ गाते है।।
कठिनता से चरण धोकर,
मिले जो ‘बिन्दु’ विधि हर को,
वो चरणोदक स्वयं जाकर,
केवट के घर लुटाते है,
न जाने कौन से गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते है,
यही हरि भक्त कहते है,
यही सदग्रंथ गाते है।।
ना जाने कौन सें गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते है,
यही हरि भक्त कहते है,
यही सदग्रंथ गाते है।।
Credit Details :
Song: Naa Jaane Kaun Se Gun Par
Singer: Pujya Rajan Jee
Lyrics: Traditional
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