Current Date: 17 Nov, 2024

राम की कथा बड़ी महान

- Rakesh Kala


कोरस :-     जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम 
M:-    बोलिये मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी की 
कोरस :-     जय 
M:-    भक्तजनो प्रभु श्री राम जो श्री हरी विष्णु के अवतारी है जिन्होंने माँ धरती को रावण के आतंक से मुक्त कराने हेतु अयोध्या के महाराजा श्री दशरथ जी के यहाँ बाल रूप में जन्म लिए और ऐसी लीला दिखाई की हम आज भी इस घनघोर कलियुग में भी शारदीय नवरात्रो मेंउनकी लीलाओ का मंचन करते है  और उनकी लीलाओ का आनंद लेते है  प्रभु श्री राम का जन्म कैसे हुआ क्यों हुआ किस तरह देवी सीता से उनका विवाह हुआ किस तरह पिता के वचन पालन करने हेतु वो वनो को गए और किस तरह पापी रावण का अंत कर सृष्टि में राम राज्य स्थापित किया आइये आप मैं आपको पवित्र राम कथा संगीमय रूप में सुनाने जा रहा हूँ एक बार फिर बोलीये मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री रामचंद्र की 
कोरस :-     जय 
M:-    राम की कथा बड़ी है महान -२
कोरस :-     राम की कथा बड़ी है महान -2
M:-    राम की कथा बड़ी है महान -२
कोरस :-     राम की कथा बड़ी है महान -२
M:-    राम कथा सुनने से भक्तो -२, हो जाता कल्याण 
कोरस :-     राम की कथा बड़ी है महान -२
M:-    राम की कथा बड़ी है महान -२
कोरस :-     जय सिया राम जय जय सिया राम 
M:-    भक्तो यह पावन राम कथा त्रेता युग की है पापी रावण के अत्याचारों से माँ धरती ने कपिला गाय का रूप धरा और देवी देवताओ सहित श्री हरी विष्णु की शरण में आ गयी भगवान श्री हरी ने उन सबको आश्वासन दिया की वो शीघ्र ही अयोध्या के महाराजा दशरथ जिनकी तीन रनिया थी कौशल्या सुमित्रा और केकई उन्होंने चार पुत्रो को जन्म दिया राम लक्ष्मण भरत व् शत्रुधन श्री हरी विष्णु जी ने कौशल्या के गर्भ से राम के रूप में जन्म लिया विधि विधान अनुसार चारो भाइयो की मुनि वशिष्ठ के आश्रम में शिक्षा दीक्षा पूर्ण हुई और एक दिन मुनि विश्वमित्र राम व् लक्ष्मण को वनो में  अपने यज्ञो की रक्षा हेतु ले गए जहाँ ताड़िका और सुबहु जैसे असुरो का राम जी ने अंत किया और लीला अनुसार अहिल्या उद्धार करते हुए मिथिल्य नरेश महाराजा जनक के यहाँ उनकी पुत्री सीता के स्वयंवर में पहुंचे 
M:-    राम ने धनुष को तोडा सिया हिय नाता जोड़ा 
    अयोध्या वापिस आये पिता माता हर्षाये 
कोरस :-     अयोध्या वापिस आये पिता माता हर्षाये 
M:-    राजा दशरथ ने सोचा राम को राजा बनाओ 
    कल ही पुत्र का अपने मैं राजतिलक करवाऊ 
कोरस :-     कल ही पुत्र का अपने मैं राजतिलक करवाऊ 
M:-    राजा दशरथ नहीं जानते -२, विधि का क्या है विधान 
कोरस :-     राम की कथा बड़ी है महान -२
M:-    राम की कथा बड़ी है महान -२
कोरस :-     जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम 
M:-    ज्यो ही अयोध्या नगरी में यह समाचार फैला की श्री राम अब अयोध्या के राजा होंगे चहु और प्रसन्नता छा गयी परन्तु श्री राम चंद्र जी का जिस हेतु अवतार हुआ था अब वो लीला प्रारम्भ हो गयी कुटिल मंथरा ने रानी केकई के कान भर दिए और केकई ने दशरथ से अपने दो धरोहर में रखे हुए वरदान मांग लिए एक से अपने पुत्र भरत के लिए राज्य और दूजे से राम लक्ष्मण और सीता को चौदह वर्ष का वनवास माता , पिता , बंधु भ्राता पूरी अयोध्या नगरी को रोता बिलखता छोड़ प्रभु पिता के वचन की लाज निभाने वनो में चले गए केवट द्वारा गंगा नदी पार कर अनेकानेक ऋषि मुनियो से मिलते हुए वह तीनो चित्रकूट जा पहुंचे और इधर जब भरत को सारा सत्य ज्ञान हुआ तो वह ग्लानि से भरे भारी सेना लेकर गुरु माताओ इत्यादि को लेकर चित्रकूट आ गए 
M:-    भरत ने राम को देखा नयन आंसू भर आये 
    दौड़ के प्रभु चरणों में भरत जी फिर गिर जाए 
कोरस :-     दौड़ के प्रभु चरणों में भरत जी फिर गिर जाए 
M:-    प्रभु वापस आ जाओ राम से गुहार लगाए 
    पिता के वचनो की फिर राम जी याद दिलाये 
कोरस :-     पिता के वचनो की फिर राम जी याद दिलाये 
M:-    चरण पादुका शीश पे धरके -२, वापिस आये धाम 
कोरस :-     राम की कथा बड़ी है महान -२
M:-    राम की कथा बड़ी है महान -२
कोरस :-     जय सिया राम जय जय सिया राम 
M:-    चित्रकूट से आगे वह तीनो पंचवटी नामक स्थान पर आ गए जहाँ वनवास का वचा समय बीतने की सोचते है इधर रावण की बहिन राक्षसी सुपर्णखा सुन्दर रूप बनाकर राम लक्ष्मण को रिझाने का प्रयत्न करती है और लक्ष्मण के हाथो अपने नाक कान कटवा बैठती है रामजी के हाथो उसके चचेरे भाई खर और दूषण भी मारे जाते है सूर्पणखा सारा वृतांत रावण को बताती है पापी रावण अपने मामा मारीछ को स्वर्ण मृग बना छल से सीता का अपहरण कर लेता है मार्ग में भक्त जटायु माँ सीता को बचाने हेतु रावण से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हो जाते है पुष्पक विमान से सीता लंका की और जाते हुए कुछ वानरों को देख अपने आभूषण वहां फेक देती है इधर प्रभु राम व् लक्ष्मण सीता को खोजते ऋषिमुक पर्वत पर आ वानराज सुग्रीव से मैत्री करते है और उसके भाई बाली का वध कर उसका राज्य वापिस दिलवाते है अब माँ सीता को खोजने वानर दल सागर तीरे आया है आगे क्या होता है आइये सुनते है 
M:-    जामवंत वचन सुनाये हनुमत के मन भाये 
    लाँघ के जलधि बाला देखो लंका में आये 
कोरस :-     लाँघ के जलधि बाला देखो लंका में आये 
M:-    सारा फिर बाग़ उजड़ा और  अक्षय को मारा 
    सारी फिर लंका जलाई सिया की सुध भी पायी 
कोरस :-     सारी फिर लंका जलाई सिया की सुध भी पायी 
M:-    सिया सुधि लाकर हनुमत में -२ , प्रभु ने बनाये काम 
कोरस :-     राम की कथा बड़ी है महान -२
    राम की कथा बड़ी है महान -२
M:-    सागर पर सेतु बांध कर प्रभु श्री राम चंद्र की सेना लंका नगरी आ गयी है भक्तो लक्ष्मण और मेघनाथ की सेनाये आमने सामने आ खड़ी है मेघनाथ ने लक्ष्मण के मर्म स्थल पर ऐसी मोप शक्ति मारी की उनके प्राण संकट में आ गए भक्तो हनुमान जी लंका से वैद्य सुसेन को ले आये उन्होंने बताया यदि  सुबह होने से पहले लक्ष्मण बूटी आ जाए तो लक्ष्मण जी के प्राण बच जायेंगे यह कार्य भी श्री हनुमान जी ने किया वो बूटी वाला पर्वत ही उठा लाये वेदराज ने  बूटी बनाई लक्ष्मण जी को बूटी पिलाई तो लक्ष्मण जी भैया भैया कहकर खड़े हो गए अगले दिन युद्ध में फिर से मेघनाथ और लक्ष्मण आमने सामने थे परन्तु इस बार लक्ष्मण जी के हाथो मेघनाथ मारा जाता है अगले दिन रावण का भाई कुम्भकरण भी प्रभु श्री राम के हाथो मृत्यु को प्राप्त करता है अब रावण अहिरावण के हाथो श्री रामचंद्र जी और लक्ष्मण का अपहरण करवाता है तो हनुमान जी द्वारा उसका वध किया जाता है राम और रावण अब एक दूसरे के समक्ष में हेतु रावण ने राम और लक्ष्मण को नागपाश में बाँध दिया है और संकटमोचन हनुमान जी ने गरुड़ जी को लाकर उनका संकट फिर से दूर किया है प्रभु राम ने हनुमान जी को ह्रदय से लगाया और उन्हें भाई भरत के समान बताया 
M:-    लखन के प्राण बचाये हनुमत बूटी लाये 
    अहिरावण को मारे जाके पातळ सिधाए 
कोरस :-     अहिरावण को मारे जाके पातळ सिधाए 
M:-    गरुड़ जी को वो लाये नाग का पाश कटाये 
    मेरे हनुमत बाला ने राम के कागज बनाये 
कोरस :-    मेरे हनुमत बाला ने राम के कागज बनाये 
M:-    राम प्रभु बोले तू भाई-२, भरत के तुल्य समान 
कोरस :-     राम की कथा बड़ी है महान -२
M:-    राम की कथा बड़ी है महान -२
कोरस :-     जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम 

M:-    कई दिनों तक श्री राम और रावण का युद्ध चला भक्तो प्रभु एक से एक अमोघ शक्ति रावण पर मार कर उसका शीश काटते परन्तु हर बार उसका नया शीश उग जाता ऐसे में रावण का भाई विभीषण राम को ये बताता है की प्रभु रावण की नाभि में अग्नि बाण मारिये और वहां पर स्थित अमृत सुखाकर इस पापी का अंत कीजिये प्रभु श्री राम ने अग्नि बाण मारकर रावण का अंत कियाश्री राम के कहने पर लक्ष्मण ने रावण से अंतिम उपदेश ग्रहण किये तीनो लोको में प्रभु श्री राम की जय जयकार हो रही थी लक्ष्मण जी ने विधि विधान से विभीषण को लंका राज्य सौंपा माँ जानकी सोलह श्रृंगार में प्रभु के पास लायी जाती है प्रभु माँ जानकी भाई लक्ष्मण विभीषण हनुमान जी जामवंत जी और अनेकानेक योद्धाओ संग पुष्पक विमान से वापिस आ गयी है और हनुमान जी तो पहले से उड़कर अयोध्या पहुंच चुके है भाई भरत को प्रभु के लौटने का संदेश दे चुके है 
M:-    जो ही संदेशा पाये भरत जी बहु हर्षाये 
    माताओ के तो ख़ुशी से देखो नैना भर आये 
कोरस:-    माताओ के तो ख़ुशी से देखो नैना भर आये 
M:-    अयोध्या वासी नाचे झूमकर ख़ुशी मनाये 
    काली अंधियारी रात में घी के दीपक जलाये 
कोरस :-     काली अंधियारी रात में घी के दीपक जलाये 
M:-    भारत की अखियां तरस रही है -२,कब आएंगे राम
कोरस :-     राम की कथा बड़ी है महान -२
M:-    राम की कथा बड़ी है महान -२
कोरस :-     जय सिया राम जय जय सिया राम 
M:-    और वो शुभ घड़ी आ ही गयी भक्तो जब पुष्पक विमान अयोध्या की पावन धरती पर उतरा राम सीता व् लक्ष्मण दौड़ कर आये और माताओ और गुरुओ के चरणों में नतमस्तक हो गए भरत व् शत्रुधन के नैनो से तो अविरल अश्रुधारा बह रही है भरत जी के आव्हान पर गुरुओ ने राम जी के राजतिलक की तैयारियां कर ली है पुरे सोलह श्रृंगार सहित प्रभु राम सीता जी सहित राज सिंहांसन पर बैठे हैगुरुओ ने मंत्रोच्चारण के साथ प्रभु का राजतिलक करवाया है लक्ष्मण भरत व् शत्रुधन प्रभु को चवर दुला रहे है हनुमान जी प्रभु चरणों में बैठे है चहुँ और हर्ष उल्लास हिलोरे मार रहा है अयोध्या की शोभा स्वर्गो से भी न्यारी लग रही है देवी देवता नभ से पुष्पों की वर्षा कर रहे है माताए एक एक कर प्रभु की आरती उतार रही है ऐसा विहंगम दृश्य ना तो आज से पहले किसी ने देखा ना सुना हैतो एक बार प्रेम बोलिये मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम चंद्र महाराज  की 
कोरस:-     जय 
M:-    अयोध्या की शोभा तो लगे स्वर्गो से न्यारी 
    झूम रही खुशियो मे तो आज ये अयोध्या सारी 
कोरस :-     झूम रही खुशियो मे तो आज ये अयोध्या सारी 
M:-    भाई देखो चवर धुराये माताये आरती गाये 
    और हनुमत  को देखो वो चंदन तिलक लगाए 
    गूंज रहा तीनो लोको में -२, राम प्रभु का नाम 
कोरस :-     राम की कथा बड़ी है महान 
 

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