स्वागतम स्वागतम तब सु स्वागतम
आप के आगमान का सु स्वागतम
रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम
बड़ी वेचैन थी मैं राम जी कल परसो
था इन्तजार मुझे इस दिन का सदियों से
रूठी अयोध्या तेरे आने से हस आई
मुरझाई कलियाँ आज फिर से है खिल आई
ये धरती हवाएं सब दे साथ ये मौसम भी झूम उठा
रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम
मेरे हाथो में भाव भाव पुष्प की जो थाली है
मेरे भगवान तेरे चरणों में चढ़ानी है
जब तेरे आणि की खबर मुझको होती है
तेरे चरणों की धूल पाने को तरसती है
पलको पे सजाये रखा था आप आये तो खुशियां झलक उठी
रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम
हम बचे तुम्हारे खड़े कर जोड़ कर
देदो आशीष अब उपकार कर
हुए पावन मेरे आँगन तेरे चरणों से
था मुझे इन्तजार इस दिन का वरसो से
यादव भी ये मोहन दास तेरा
अंकिता करती गुण गान तेरा
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