Current Date: 24 Nov, 2024

रचाई सृष्टि को जिस प्रभु ने

- Mishra Bandhu


M:-        रचाई सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 
रचाई सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 
जो पेड़ हमने लगाया पहले जो पेड़ हमने लगाया पहले 
उसी का फल अब हम पा रहे है 
रचाई सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 
कोरस :-    रचाई सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 

M:-        इसी धरा से शरीर पाये,इसी धरा में फिर सब समाये
इसी धरा से शरीर पाये,इसी धरा में फिर सब समाये
है सत्य नियम यही धरा का,है सत्य नियम यही धरा का
एक आ रहे है एक जा रहे है,
रचाई सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 
कोरस :-    रचाई सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 

M:-        जिन्होने भेजा जगत में जाना,तय कर दिया लौट के फिर से आना,
जिन्होने भेजा जगत में जाना,तय कर दिया लौट के फिर से आना,
जो भेजने वाले है धरा पर जो भेजने वाले है धरा पर 
वही फिर वापस बुला रहे है 
रचाई सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 
कोरस :-    रचाई सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 

M:-        बैठे है जो धान की बालियो में,समाए मेहंदी की लालियो में,
बैठे है जो धान की बालियो में,समाए मेहंदी की लालियो में,
हर डाल हर पत्ते में समाकर,हर डाल हर पत्ते में समाकर,
गुल रंग बिरंगे खिला रहे है,
रचाई सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 
कोरस :-    रचाई सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 
M:-        वही ये सृष्टि चला रहे है वही ये सृष्टि चला रहे है 

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