Current Date: 20 Nov, 2024

रचा सृष्टि जिसने

- Shri Devendra Ji Maharaj


कोरस:-     आ आ आ आ आ...................
M: -    रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 
    रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 
    जो पेड़ हमने लगाया पहले जो पेड़ हमने लगाया पहले 
    उसी का फल हम अब पा रहे है 
    रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 
कोरस:-     रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 
    हो ओ ओ हो     ओ ओ आ आ आ....................................

M:-    इसी धरा से शरीर पाए इसी धरा में फिर सब समाये 
    इसी धरा से शरीर पाए इसी धरा में फिर सब समाये 
    है सत्य नियम यही धरा का है सत्य नियम यही धरा का 
    एक आ रहे है एक जा रहे है 
    रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 
कोरस :-     रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 
    आ आ आ आ आ........................................

M:-    जिन्होंने भेजा जगत में जाना तय कर दिया लौट के फिर से आना 
    जिन्होंने भेजा जगत में जाना तय कर दिया लौट के फिर से आना 
    जो भेजने वाले है यहाँ पे जो भेजने वाले है यहाँ पे 
    वही फिर वापिस बुला रहे है 
    रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 
कोरस :-     रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 
    हो ओ ओ हो ओ ओ आ आ आ....................................

M:-    बैठे है जो धान की बालियों में समाये मेहँदी की लालियो में 
    बैठे है जो धान की बालियों में समाये मेहँदी की लालियो में 
    हर डाल हर पत्ते में समाकर हर डाल हर पत्ते में समाकर 
    गुल रंग बिरंगे खिला रहे हो 
    रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 
कोरस :-     रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 
M:-    रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है 
 

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