M:- शोक दयानी पुत्र दायनी की कथा सुनाता हूँ
मै कथा सुनाता हूँ
पुत्रदा एकादशी की मै महिमा बतलाता हूँ
मै कथा सुनाता हूँ
एकादशी के व्रत का उत्तम फल दिखलाता हूँ
मै कथा सुनाता हूँ
शोक नाशनी पुत्र दायनी की कथा सुनाता हूँ
मै कथा सुनाता हूँ
कोरस:- सर्वोत्तम एकादशी है पुत्रदा एकादशी
अति उत्तम है एकादशी है पुत्रदा एकादशी
१
M:- भद्रावती नगर की तुमको कथा सुनाता हूँ
राजा सुकेतु रानी शैब्या की व्यथा दिखाता हूँ
कोरस:- मै उसकी व्यथा दिखाता हूँ
M:- दान वीर था राजा और थी दया शील रानी
दया भाव और दान पुण्य में नहीं कोई शानी
कोरस:- नहीं कोई शानी
M:- लेकिन इक संतान बिना था सुना राजमहल
इसी बात की चिंता उनको रहती थी हर पल
कोरस:- रहती थी हर पल
M:- कैसे चलेगा राजपाट ये कैसे चलेगा वंश
चिंता डसती रहती जैसे नाग का डंस
कोरस:- नाग का डंस
M:- अब आगे जो होता है मै वही बताता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ
कोरस:- सर्वोत्तम एकादशी है पुत्रदा एकादशी
अति उत्तम है एकादशी है पुत्रदा एकादशी
२
M:- वो दोनों तकदीर से अपने मन से गए थे हार
फिर इक दिन मंत्री के ऊपर सौंपा राज्य का भार
कोरस :- सौंपा राज्य का भार
M:- पति पत्नी दोनों ही भक्तो हो गए वनवासी
हुयी ना जब संतान दोनों हो गए सन्यासी
कोरस :- हो गए सन्यासी
M:- फिर इक दिन दोनों के मन में आ बैठी ये बात
ऐसे जीने से तो स्वयं ही कर ले प्राण घात
कोरस :- स्वयं ही कर ले प्राण घात
M:- पति पत्नी आपस में दोनों कर के यही विचार
बिन संतान नहीं है हमको जीने का अधिकार
कोरस :- जीने का अधिकार
M:- देने चले प्राण जब दोनों वो दिखलाता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ
कोरस:- सर्वोत्तम एकादशी है पुत्रदा एकादशी
अति उत्तम है एकादशी है पुत्रदा एकादशी
3
M:- आत्म घात करने की खातिर दोनों चढ़े पहाड़
उन दोनों के मन में तुरत ही आया एक विचार
कोरस:- तुरत ही आया एक विचा
आत्मघात के पाप से बढ़ के दूजा नहीं है पाप
प्रेत योनि में जाना होगा मिले पाप का ताप
कोरस:- मिले पाप का ताप
M:- आत्मघात की बात त्याग के उतर गए निचे
आगे आगे चल रहा राजा रानी है पीछे
कोरस:- रानी है पीछे
M:- आंधी बारिश उन्होंने झेली झेली धुप और शीत
इसी तरह से चलते चलते गए कई दिन बात
कोरस:- कई दिन बात
M:- पहुंचे दोनों कहाँ पे आगे वही बताता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ
कोरस:- सर्वोत्तम एकादशी है पुत्रदा एकादशी
अति उत्तम है एकादशी है पुत्रदा एकादशी
४
M:- जहाँ थे ऋषि मुनियो के आश्रम वहां पे आते है
बैठ के दोनों एक छावं में थकन मिटाते है
कोरस:- थकन मिटाते है
M:- कर के नमन साधु संतो की लेते है आशीष
बोले साधु तुम दोनों का भला करे जगदीश
कोरस:- भला करे जगदीश
M:- ऋषियों ने फिर मनो योग से जान ली सारी बात
हुयी नहीं संतान इसीलिए पंहुचा है आघात
कोरस:- पंहुचा है आघात
M:- ऋषियों में जो श्रेष्ठ थे सबसे बोले मृदु वाणी
मेरी बाते सुनो ध्यान से तुम राजा रानी
कोरस:- तुम राजा रानी
M:- पुत्रदा एकादशी का तुमको सार बताता हूँ
पावन कथा सुनाता हूँ
कोरस:- सर्वोत्तम एकादशी है पुत्रदा एकादशी
अति उत्तम है एकादशी है पुत्रदा एकादशी
५
M:- पुत्रदा एकादशी का विधिवत करना तुम पूजन
उत्तम पुत्र प्राप्ति होगी होगा सफल जीवन
कोरस:- होगा सफल जीवन
M:- ले कर के आशीष वो दोनों महल में आते है
एकादशी का व्रत कर के धन धान्य लुटाते है
कोरस:- धन धान्य लुटाते है
M:- श्री विष्णु की पूजा करते दोनों ही दिन रात
हुयी गर्भ वती शैब्या रानी मिल गई थी सौगात
कोरस:- मिल गई थी सौगात
M:- पुत्र रत्न की हुयी प्राप्ति उनको दशवे माह
उनको वही मिला उस व्रत से जो थी उनकी चाह
कोरस:- जो थी उनकी चाह
M:- पुत्रदा एकादशी को नित नित शीश झुकाता हूँ
मै पावन कथा सुनाता हूँ
कोरस:- सर्वोत्तम एकादशी है पुत्रदा एकादशी
अति उत्तम है एकादशी है पुत्रदा एकादशी
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