Current Date: 18 Nov, 2024

प्रेतराज चालीसा

- Traditional


!! दोहा !!

गणपति की कर वन्दना, गुरु चरणन चित लाए !
प्रेतराज जी का लिखूँ, चालीसा हरषाए !!
जय जय भूतादिक प्रबल, हरण सकल दुख भार !
वीर शिरोमणि जयति, जय प्रेतराज सरकार !!

!! चोपाई !!

जय जय प्रेतराज जगपावन ! महाप्रबल दुख ताप नसावन !!
विकट्वीर करुणा के सागर ! भक्त कष्ट हर सब गुण आगर !!
रतन जडित सिंहासन सोहे ! देखत सुर नर मुनि मन मोहे !!
जगमग सिर पर मुकुट सुहावन ! कानन कुण्डल अति मनभावन !!

धनुष किरपाण बाण अरु भाला ! वीर वेष अति भ्रकुटि कराला !!
गजारुढ संग सेना भारी ! बाजत ढोल म्रदंग जुझारी !!
छ्त्र चँवर पंखा सिर डोलें ! भक्त व्रन्द मिल जय जय बोलें !!
भक्त शिरोमणि वीर प्रचण्डा ! दुष्ट दलन शोभित भुजदण्डा !!

चलत सैन काँपत भु-तलह ! दर्शन करत मिटत कलिमलह !!
घाटा मेंहदीपुर में आकर ! प्रगटे प्रेतराज गुण सागर !!
लाल ध्वजा उड रही गगन में ! नाचत भक्त मगन हो मन में !!
भक्त कामना पूरन स्वामी ! बजरंगी के सेवक नामी !!

इच्छा पूरन करने वाले ! दुख संकट सब हरने वाले !!
जो जिस इच्छा से हैं आते ! मनवांछित फल सब वे हैं पाते !!
रोगी सेवा में जो हैं आते ! शीघ्र स्वस्थ होकर घर हैं जाते !!
भूत पिशाच जिन वैताला ! भागे देखत रुप विकराला !!

भोतिक शारीरिक सब पीडा ! मिटा शीघ्र करते हैं क्रीडा !!
कठिन काज जग में हैं जेते ! रटत नाम पूरा सब होते !!
तन मन से सेवा जो करते ! उनके कष्ट प्रभु सब हरते !!
हे करुणामय स्वामी मेरे ! पडा हुआ हूँ दर पे तेरे !!

कोई तेरे सिवा ना मेरा ! मुझे एक आश्रय प्रभु तेरा !!
लज्जा मेरी हाथ तिहारे ! पडा हुआ हूँ चरण सहारे !!
या विधि अरज करे तन-मन से ! छूटत रोग-शोक सब तन से !!
मेंहदीपुर अवतार लिया है ! भक्तों का दुख दूर किया है !!

रोगी पागल सन्तति हीना ! भूत व्याधि सुत अरु धन छीना !!
जो जो तेरे द्वारे आते ! मनवांछित फल पा घर जाते !!
महिमा भूतल पर छाई है ! भक्तों ने लीला गाई है !!
महन्त गणेश पुरी तपधारी ! पूजा करते तन-मन वारी !!

हाथों में ले मुदगर घोटे ! दूत खडे रहते हैं मोटे !!
लाल देह सिन्दूर बदन में ! काँपत थर-थर भूत भवन में !!
जो कोई प्रेतराज चालीसा ! पाठ करे नित एक अरु हमेशा !!
प्रातः काल स्नान करावै ! तेल और सिन्दूर लगावै !!

चन्दन इत्र फुलेल चढावै ! पुष्पन की माला पहनावै !!
ले कपूर आरती उतारें ! करें प्रार्थना जयति उचारें !!
उन के सभी कष्ट कट जाते ! हर्षित हो अपने घर जाते !!
इच्छा पूरन करते जन की ! होती सफल कामना मन की !!

भक्त कष्ट हर अरि कुल घातक ! ध्यान करत छूटत सब पातक !!
जय जय जय प्रेताधिराज जय ! जयति भुपति संकट हर जय !!
जो नर पढत प्रेत चालीसा ! रहत ना कबहुँ दुख लवलेशा !!
कह ‘सुखराम’ ध्यानधर मन में ! प्रेतराज पावन चरनन में !!

!! दोहा !!

दुष्ट दलन जग अघ हरन ! समन सकल भव शूल !!
जयति भक्त रक्षक सबल ! प्रेतराज सुख मूल !!
विमल वेश अंजनि सुवन ! प्रेतराज बल धाम !!
बसहु निरन्तर मम ह्र्दय ! कहत दास सुखराम !!

!! इति श्री प्रेतराज चालीसा !!

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