के अवसर आया है,
पर्युषण आया है,
करना क्षमा तुम जरूर,
अरे ये मौका है धर्म का,
अरे ये मौका है धर्म का,
के अवसर आया है,
पर्युषण आया है,
करना क्षमा तुम ज़रुर।
जितने पाप करे हैं,
हमने जो कर्म करे है,
तपजप का है मौका,
क्यो मानव शर्म करे है,
अवसर ये एक है नेक है,
है अपने स्वधर्म का,
के अवसर आया है,
पर्युषण आया है,
करना क्षमा तुम ज़रुर।
कहते है ज्ञानी ध्यानी,
मेरे वीर प्रभु की वाणी,
जो समझे जिनशासन को,
तिर जाता है वो प्राणी,
अवसर ये एक है नेक है,
अपने ही कर्म का,
के अवसर आया है,
पर्युषण आया है,
करना क्षमा तुम ज़रुर।
जाने अनजाने में,
कितनो का दिल है दुखाया,
अब आया ऐसा मौका,
जो क्षमापना का आया,
करले ले तू क्षमा तू क्षमा,
अपने गुनाह का,
के अवसर आया है,
पर्युषण आया है,
करना क्षमा तुम ज़रुर।
अरे ये मौका है धर्म का,
के अवसर आया है,
पर्युषण आया है,
करना क्षमा तुम ज़रुर।
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