प्रदोष व्रत उद्यापन विधि
हिन्दू धर्म के अनुसार, प्रदोष व्रत कलियुग में अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करनेवाला होता है. हर महीने की त्रयोदशी तिथि में सायं काल को प्रदोष काल कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि प्रदोष के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में इस समय नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं. जो भी व्यक्ति अपना कल्याण चाहते हों यह व्रत रख सकते हैं. प्रदोष व्रत को करने से हर प्रकार का दोष मिट जाता है. भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित इस व्रत को प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को रखा जाता है.
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प्रदोष व्रत का उद्यापन
इस व्रत को ग्यारह या फिर 26 त्रयोदशियों तक रखने के बाद व्रत का उद्यापन करना चाहिए.
1. व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि पर ही करना चाहिए.
2. उद्यापन से एक दिन पूर्व श्री गणेश का पूजन किया जाता है. पूर्व रात्रि में कीर्तन करते हुए जागरण किया जाता है.
3. प्रात: जल्दी उठकर मंडप बनाकर, मंडप को वस्त्रों और रंगोली से सजाकर तैयार किया जाता है.
4. ‘ऊँ उमा सहित शिवाय नम:’ मंत्र का एक माला यानी 108 बार जाप करते हुए हवन किया जाता है.
5. हवन में आहूति के लिए खीर का प्रयोग किया जाता है.
6. हवन समाप्त होने के बाद भगवान भोलेनाथ की आरती की जाती है और शान्ति पाठ किया जाता है.
7. अंत: में दो ब्रह्माणों को भोजन कराया जाता है और अपने सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है.
Pradosh fasting method
According to Hindu religion, Pradosh Vrat is very auspicious in Kali Yuga and gives blessings of Shiva. The evening period of Trayodashi Tithi of every month is called Pradosh Kaal. It is believed that at the time of Pradosh, Mahadev dances in the Rajat Bhawan of Mount Kailash at this time and the gods praise his qualities. Any person who wants his welfare can keep this fast. By observing Pradosh Vrat, all kinds of faults are removed. This fast dedicated to Lord Shiva and Mother Parvati is observed on the Krishna Paksha and Shukla Paksha of every month.
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Celebration of Pradosh Vrat
After keeping this fast for eleven or 26 Trayodashis, the fast should be celebrated.
1. Udyapan of fasting should be done on Trayodashi date only.
2. Shri Ganesh is worshiped a day before Udyapan. Jagran is done in the previous night while doing kirtan.
3. Waking up early in the morning, a mandap is made, the mandap is decorated with clothes and rangoli.
4. Havan is performed by chanting 'Om Uma Sahitha Shivay Namah' mantra i.e. 108 times.
5. Kheer is used for offering in Havan.
6. After the Havan is over, Lord Bholenath's Aarti is performed and Shanti is recited.
7. At the end, two brahmins are fed and blessings are obtained by giving donations and dakshina according to their ability.
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