Current Date: 22 Dec, 2024

Pradosh Vrat 2023: नवंबर में आखिरी प्रदोष व्रत कब आता है? जानें पूजा का क्रम, शुभ मुहूर्त और महत्व

- Bhajan Sangrah


हर माह में दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस बार प्रदोष व्रत 24 नवंबर दिन शुक्रवार को रखा जा रहा है। शुक्रवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रदोष व्रत को खास महत्व दिया गया है। इस दिन शिव जी के भक्त व्रत रखते हैं और प्रदोष काल में शिव शंकर और माता पार्वती की पूजा करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन व्रत और पूजन करने से भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही व्यक्ति के जीवन में खुशियां आती हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व...

शुक्र प्रदोष व्रत 2023 
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 24 नवंबर शुक्रवार को शाम 7:06 बजे से हो रहा है। इसका समापन अगले दिन शनिवार 25 नवंबर को शाम 5 बजकर 22 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत की पूजा शाम को की जाती है इसलिए नवंबर का आखिरी प्रदोष व्रत 24 नवंबर को ही मनाया जाएगा

 

प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त

24 नवंबर को प्रदोष व्रत की पूजा का सर्वोत्तम समय शाम 7:06 बजे से रात 8:06 बजे तक है। इस दिन आपके पास शिव पूजा के लिए एक घंटा होता है।

 

प्रदोष व्रत पूजा विधि

  • शुक्र प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें। 
  • इसके बाद भगवान भोलेनाथ के सामने दीपक जलाएं और प्रदोष व्रत का संकल्प लें। 
  • शाम को शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें। 
  • शिवलिंग को दूध, दही, घी, शहद और गंगा जल आदि से चिकना करें। 
  • फिर शिवलिंग पर सफेद चंदन लगाएं और बेलपत्र, मदार, फूल, भांग आदि चढ़ाएं। 
  • फिर विधिपूर्वक पूजा करें और आरती करें।


प्रदोष व्रत का महत्व

प्रदोष व्रत विशेष रूप से भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत महत्व रखता है क्योंकि प्रदोष भगवान से जुड़ा हुआ है। इस दिन भगवान शिव, देवी पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय और नंदी की पूजा की जाती है। इस दिन मनाया जाने वाला प्रदोष व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती के आशीर्वाद के साथ-साथ त्रयोदशी प्रदोष वाले दिन के संबंधित ग्रह के आशीर्वाद को आकर्षित करता है। माना जाता है कि जो लोग प्रदोष व्रत करते हैं उन्हें पिछले सभी पापों कष्टों और चिंताओं से मुक्ति मिल जाती है।  दिन के अनुसार, प्रदोष व्रत का महत्व भी अलग-अलग होता है। जैसे शनि प्रदोष व्रत पुत्र की प्राप्ति के लिए रखा जाता है वहीं शुक्र प्रदोष व्रत रखने और शिव पूजा करने से दांपत्य जीवन सुखमय होता है।

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