Current Date: 19 Dec, 2024

प्रभु जी तुम चंदन हम पानी,

- चेतना शुक्ला


प्रभु जी तुम चंदन हम पानी,
जाकी अंग-अंग बास समानी,
प्रभु जी तुम चँदन हम पानी।।

प्रभु जी तुम घन बन हम मोरा,
जैसे चितवत चंद्र चकोरा,
प्रभु जी तुम चँदन हम पानी,
जाकी अंग-अंग बास समानी,
प्रभु जी तुम चँदन हम पानी।।

प्रभु जी तुम मोती हम धागा,
जैसे सोनहिं मिलत सोहागा,
प्रभु जी तुम चँदन हम पानी,
जाकी अंग-अंग बास समानी,
प्रभु जी तुम चँदन हम पानी।।

प्रभु जी तुम दीपक हम बाती,
जाकी जोति बरै दिन राती,
प्रभु जी तुम चँदन हम पानी,
जाकी अंग-अंग बास समानी,
प्रभु जी तुम चँदन हम पानी।।

प्रभु जी तुम स्वामी हम दासा,
ऐसी भक्ति करे ‘रैदासा’,
प्रभु जी तुम चँदन हम पानी,
जाकी अंग-अंग बास समानी,
प्रभु जी तुम चँदन हम पानी।।

प्रभु जी तुम चंदन हम पानी,
जाकी अंग-अंग बास समानी,
प्रभु जी तुम चँदन हम पानी।।

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