प्रभु रामचंद्र के दुता बलभीमा आ जनैया
प्रभु राम…………………..
है पवनपुत्र हनुमंता बलभीमा आ जनैया
बलभीमा आ जनैया .............
बल बुद्धि के है खामी , डरते झांसे खल कामी
दुर्गम को सुगम बनाते , भक्तो की पीड़ा
प्रभु राम…………………..
संकट कटे सब पीरा , जो सुमिरे हनुमत वीर
जो करता प्रभु की भक्ति मिलती भवसागर से मुक्ति
प्रभु राम…………………..
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