ओ मेरे जिनवर,
हर घड़ी हर पहर,
तुझसे बिछड़कर,
रोये हम,
एक यही थी लगन,
होगे कब दर्शन,
कब होगा मिलन,
रोये मन,
किये दर्शन मिला आनंद,
कभी दर बंद ना करना,
है कौन यहाँ एक तेरे सिवा,
प्रभु हमे दूर ना करना।।
तर्ज – तेरे जाने का गम।
तू दिल के पास है कितना,
विरह सहकर के ही जाना,
घिरे संकट के जब बादल,
तेरी महिमा को पहचाना,
क्षमा करना हमारे गुनाह,
है बालक हम दया करना,
है कौन यहाँ एक तेरे सिवा,
प्रभु हमे दूर ना करना।।
अंधेरो में तू दीपक है,
तू ही ममता का आँचल है,
जीवन हर मोड़ पर जंग है,
प्रभु तू है संग तो सम्बल है,
‘प्रदीप’ तेरा नाम दिल मे धरे,
कृपा सब पर सदा करना,
है कौन यहाँ एक तेरे सिवा,
प्रभु हमे दूर ना करना।।
ओ मेरे जिनवर,
हर घड़ी हर पहर,
तुझसे बिछड़कर,
रोये हम,
एक यही थी लगन,
होगे कब दर्शन,
कब होगा मिलन,
रोये मन,
किये दर्शन मिला आनंद,
कभी दर बंद ना करना,
है कौन यहाँ एक तेरे सिवा,
प्रभु हमे दूर ना करना।।
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