पर्वत पे विराजे मेरे भोले भंडारी,
भोले भंडारी मेरे नईया कंडारी…….
मंथन से विष सरिता लाई,
नीलकंठ बने मोरे भंडारी,
पर्वत पे विराजे मेरे भोले भंडारी…..
गंगा लाए पावन कराए,
अपनी जटाओं में संजोएं भंडारी,
पर्वत पे विराजे मेरे भोले भंडारी…..
गौरी संग मेरे भोलेनाथ भाए,
मन को मोहे ये जोड़ी भंडारी,
पर्वत पे विराजे मेरे भोले भंडारी…
अगर आपको यह भजन अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अन्य लोगो तक साझा करें।