Current Date: 22 Dec, 2024

पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल (Padmanabhaswamy Temple Kerala)

- The Lekh


पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल

केरल: गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है पद्मनाभस्वामी मंदिर, मासिक खर्च में  जाते थे सवा करोड़ - kerala Sree Padmanabhaswamy Temple facing economic  crisis NTC - AajTak

पद्मनाभस्वामी मंदिर भारत के केरल राज्य के तिरुअनन्तपुरम में स्थित भगवान विष्णु का प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में शामिल यह ऐतिहासिक मंदिर तिरुअनंतपुरम के अनेक पर्यटन स्थलों में से एक है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर विष्णु-भक्तों की महत्वपूर्ण आराधना-स्थली है। मंदिर की संरचना में सुधार कार्य किए गए जाते रहे हैं। उदाहरणार्थ 1733 ई. में इस मंदिर का पुनर्निर्माण त्रावनकोर के महाराजा मार्तड वर्मा ने करवाया था। पद्मनाभ स्वामी मंदिर के साथ एक पौराणिक कथा जुडी है। मान्यता है कि सबसे पहले इस स्थान से विष्णु भगवान की प्रतिमा प्राप्त हुई थी जिसके बाद उसी स्थान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है।

इस पढ़ें: बड़े हनुमान जी मंदिर

मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है जिसे देखने के लिए हजारों भक्त दूर दूर से यहाँ आते हैं। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। मान्यता है कि तिरुअनंतपुरम नाम भगवान के 'अनंत' नामक नाग के नाम पर ही रखा गया है। यहाँ पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मनाभ' कहा जाता है और इस रूप में विराजित भगवान यहाँ पर पद्मनाभ स्वामी के नाम से विख्यात हैं।

तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर केरल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। केरल संस्कृति एवं साहित्य का अनूठा संगम है। इसके एक तरफ तो खूबसूरत समुद्र तट है और दूसरी ओर पश्चिमी घाट में पहाडि़यों का अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य, इन सभी अमूल्य प्राकृतिक निधियों के मध्य स्थित- है पद्मनाभ स्वामी मंदिर। इसका स्थापत्य देखते ही बनता है मंदिर के निर्माण में महीन कारीगरी का भी कमाल देखने योग्य है।

इस पढ़ें: महावीर मंदिर पटना

महत्व
मंदिर का महत्व यहाँ के पवित्र परिवेश से और बढ जाता है। मंदिर में धूप-दीप का प्रयोग एवं शंखनाद होता रहता है। मंदिर का वातावरण मनमोहक एवं सुगंधित रहता है। मंदिर में एक स्वर्णस्तंभ भी बना हुआ है जो मंदिर के सौदर्य में इजाफा करता है। मंदिर के गलियारे में अनेक स्तंभ बनाए गए हैं जिन पर सुंदर नक़्क़ाशी की गई है जो इसकी भव्यता में चार चाँद लगा देती है। मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को धोती तथा स्त्रियों को साड़ी पहनना अनिवार्य है। इस मन्दिर में हिन्दुओं को ही प्रवेश मिलता है। मंदिर में हर वर्ष ही दो महत्वपूर्ण उत्सवों का आयोजन किया जाता है जिनमें से एक मार्च एवं अप्रैल माह में और दूसरा अक्टूबर एवं नवंबर के महीने में मनाया जाता है। मंदिर के वार्षिकोत्सवों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेने के लिए आते हैं तथा प्रभु पद्मनाभस्वामी से सुख-शांति की कामना करते हैं।

मंदिर का स्थापत्य
पद्मनाभ स्वामी मंदिर का निर्माण राजा मार्तण्ड द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर के पुनर्निर्माण में अनेक महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा गया है। सर्वप्रथम इसकी भव्यता को आधार बनाया गया मंदिर को विशाल रूप में निर्मित किया गया जिसमें उसका शिल्प सौंदर्य सभी को प्रभावित करता है। मंदिर के निर्माण में द्रविड़ एवं केरल शैली का मिला जुला प्रयोग देखा जा सकता है।

इस पढ़ें: सालासर बालाजी धाम मंदिर

मंदिर का गोपुरम द्रविड़ शैली में बना हुआ है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का अदभुत उदाहरण है। मंदिर का परिसर बहुत विशाल है जो कि सात मंजिला ऊंचा है गोपुरम को कलाकृतियों से सुसज्जित किया गया है। मंदिर के पास ही सरोवर भी है जो 'पद्मतीर्थ कुलम' के नाम से जाना जाता है।

मंदिर की सम्पत्ति
मन्दिर तथा इसकी सम्पत्ति के स्वामी भगवान पद्मनाभस्वामी ही हैं। बहुत दिनों तक यह मंदिर तथा इसकी सम्पत्तियों की देखरेख और सुरक्षा एक न्यास (ट्रस्ट) द्वारा की जाती रही जिसके अध्यक्ष त्रावणकोर के राजपरिवार का कोई सदस्य होता था। किन्तु वर्तमान समय में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने राजपरिवार को इस मंदिर के प्रबन्धन के अध्यक्षता करने से रोक दिया था।

इस पढ़ें: श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर (बिड़ला मंदिर)

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 3 जुलाई 2020 को केरल उच्च न्यायालय के जनवरी 2011 के फैसले को पलटते हुए निर्णय दिया कि पद्मनाभस्वामी मंदिर का प्रशासन और नियंत्रण पूर्ववर्ती त्रावणकोर शाही परिवार द्वारा किया जाएगा।

जून २०११ में सर्वोच्च न्यायालय ने पुरातत्व विभाग तथा अग्निशमन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि मन्दिर के गुप्त तहखानों को खोलें और उनमें रखी वस्तुओं का निरीक्षण करें। इन तहखानों में रखी करीब दो लाख करोड़ की संपत्ति का पता चला है। हालांकि अभी भी तहखाने-बी को नहीं खोला गया है। सुप्रीमकोर्ट ने इस तहखाने को खोलने पर रोक लगा दी है। सुप्रीमकोर्ट ने आदेश किया है कि ये संपत्ति मंदिर की है और मंदिर की पवित्रता और सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।

Padmanabhaswamy Temple Kerala

Padmanabhaswamy Temple is a famous Hindu temple of Lord Vishnu located in Thiruvananthapuram, Kerala state of India. This historical temple, included in the major Vaishnava temples of India, is one of the many tourist places in Thiruvananthapuram. The Padmanabha Swamy Temple is an important place of worship for Vishnu-devotees. Improvement works have been done in the structure of the temple. For example, in 1733 AD, this temple was rebuilt by Martada Varma, the Maharaja of Travancore. There is a legend associated with the Padmanabha Swamy Temple. It is believed that the idol of Lord Vishnu was first obtained from this place, after which this temple was built at the same place.

Read this: Bade Hanuman Ji Temple

A huge idol of Lord Vishnu is enshrined in the sanctum sanctorum of the temple, to see which thousands of devotees come here from far and wide. In this idol, Lord Vishnu is seated on Sheshnag in sleeping posture. It is believed that the name Thiruvananthapuram is named after the name of Lord's 'Anant', the serpent. The resting state of Lord Vishnu here is called 'Padmanabha' and the Lord enthroned in this form is known here as Padmanabha Swamy.

The Padmanabha Swamy Temple of Thiruvananthapuram is one of the famous religious places in Kerala. Kerala is a unique confluence of culture and literature. It has a beautiful beach on one side and wonderful natural beauty of hills in the Western Ghats on the other side, situated amidst all these priceless natural treasures – Padmanabha Swamy Temple. Its architecture is made just by looking at it, the fine workmanship in the construction of the temple is also amazing to see.

Read this: Mahavir Mandir Patna

Importance
The importance of the temple increases further with the holy surroundings here. In the temple, the use of incense and lamp and conch shells keep on happening. The atmosphere of the temple remains attractive and fragrant. There is also a golden pillar in the temple which adds to the beauty of the temple. Many pillars have been made in the corridor of the temple, on which beautiful carvings have been done, which adds to its grandeur. It is mandatory for men to wear dhoti and women to wear saree to enter the temple. Only Hindus get entry in this temple. Two important festivals are organized in the temple every year, one in the months of March and April and the other in the months of October and November. Lakhs of devotees come to participate in the annual festivals of the temple and pray to Lord Padmanabhaswamy for happiness and peace.

Temple architecture
The Padmanabha Swamy Temple was built by King Martanda. Many important things have been taken care of in the reconstruction of this temple. First of all, its grandeur was made the basis, the temple was built in a huge form, in which the beauty of its craft impresses everyone. A mixed use of Dravidian and Kerala style can be seen in the construction of the temple.

Read this: Salasar Balaji Dham Temple

The gopuram of the temple is built in the Dravidian style. Padmanabha Swamy Temple is a wonderful example of South Indian architecture. The complex of the temple is very large, which is seven storey high. The gopuram is decorated with artifacts. There is also a lake near the temple which is known as 'Padmatheertha Kulam'.

Temple property
Lord Padmanabhaswamy is the owner of the temple and its property. For a long time the temple and its properties were looked after and protected by a trust (Trust) headed by a member of the royal family of Travancore. But at present, the Supreme Court of India had barred the royal family from presiding over the management of this temple.

Read this: Shri Laxmi Narayan Temple (Birla Mandir)

The Supreme Court of India on 3 July 2020, overturning the January 2011 judgment of the Kerala High Court, ruled that the Padmanabhaswamy Temple would be administered and controlled by the erstwhile Travancore royal family.

In June 2011, the Supreme Court directed the officials of the Archaeological Department and the Fire Department to open the secret cellars of the temple and inspect the articles kept in them. Assets worth about two lakh crore kept in these cellars have been detected. However, Basement-B has not been opened yet. The Supreme Court has banned the opening of this basement. The Supreme Court has ordered that this property belongs to the temple and the sanctity and security of the temple should be ensured.

और भी मनमोहक भजन, आरती, वंदना, चालीसा, स्तुति :-

अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अन्य लोगो तक साझा करें एवं किसी भी प्रकार के सुझाव के लिए कमेंट करें।

अगर आपको यह भजन अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अन्य लोगो तक साझा करें।