Current Date: 22 Dec, 2024

नवरात्री के अंतिम दिन मां के किस रूप की होती है पूजा, जानिए कथा, मंत्र और आरती (On the last day of Navratri, which form of mother is worshiped, know the story, mantra and aarti)

- The Lekh


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माता सिद्धिदात्री कथा और पूजा विधि 

Navratri 2022: नवरात्रि के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. इसके साथ ही इस दिन कन्या पूजन का भी विधान है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो भक्त पूरी लगन और पूरी श्रद्धा से मां की पूजा करते हैं, उन्हें सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं। इतना ही नहीं मां सिद्धिदात्री दुख, रोग और भय से मुक्ति भी देती हैं। आइए जानते हैं नवरात्रि के नौवें दिन की पूजा विधि, व्रत कथा, आरती, मंत्र

जानिए क्या है पूजा की विधि:

दुर्गा पूजा में इस दिन विशेष हवन किया जाता है। यह नव दुर्गा का अंतिम दिन भी है, इसलिए इस दिन माता सिद्धिदात्री के बाद अन्य देवताओं की भी पूजा की जाती है। सबसे पहले माता के पद पर सिद्धिदात्री की तस्वीर या मूर्ति स्थापित कर हवन और आरती की जाती है। इस दिन दुर्गा सप्तशती के पूर्ण पाठ का विशेष विधान है।

माता सिद्धिदात्री की कथा :

एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर आठों सिद्धियों को प्राप्त किया था। साथ ही मां सिद्धिदात्री की कृपा ने भगवान शिव का आधा शरीर देवी हो गया था और वह अर्धनारीश्वर कहलाए। मां दुर्गा का यह अत्यंत शक्तिशाली स्वरूप है। शास्त्रों के अनुसार, देवी दुर्गा का यह स्वरूप सभी देवी-देवताओं के तेज से प्रकट हुआ है। कहते हैं कि दैत्य महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवतागण भगवान शिव और प्रभु विष्णु के पास गुहार लगाने गए थे। तब वहां मौजूद सभी देवतागण से एक तेज उत्पन्न हुआ। उस तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ। जिन्हें मां सिद्धिदात्री के नाम से जाना जाता हैं।

पौराणिक मान्यता के अनुसार मां सिद्धिदात्री के पास आठ सिद्धियां हैं। माता रानी अपने भक्तों को सभी आठों सिद्धियों से पूर्ण करती हैं। मां सिद्धिदात्री को जामुनी या बैंगनी रंग अतिप्रिय है। ऐसे में भक्त को नवमी के दिन इसी रंग के वस्त्र धारण कर मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से माता की हमेशा कृपा बनी रहती हैं।

आठ सिद्धियों के नाम


अणिमा
महिमा
गरिमा
लघिमा
प्राप्ति
प्राकाम्य
ईशित्व
वशित्व

मां सिद्धिदात्री की आरती:

जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता
तू भक्तों की रक्षक  तू दासों की माता,

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि!!

कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम
जब भी हाथ सेवक के सर धरती हो तुम,

तेरी पूजा में तो न कोई विधि है
तू जगदम्बे दाती तू सर्वसिद्धि है!!

रविवार को तेरा सुमरिन करे जो
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो,

तुम सब काज उसके कराती हो पूरे
कभी काम उसके रहे न अधूरे!!

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया
रखे जिसके सर पर मैया अपनी छाया,

सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली!!

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा,

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता
वंदना है सवाली तू जिसकी दाता!!

मां सिद्धिदात्री के मंत्र:


सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

Mata Siddhidatri Story and Worship Method

Navratri 2022: Maa Siddhidatri is worshiped on the last day of Navratri. Along with this, there is also a law of worshiping the girl on this day. It is believed that on this day the devotees who worship the mother with full devotion and devotion, they get all the siddhis. Not only this, Maa Siddhidatri also gives freedom from sorrow, disease and fear. Let us know the worship method, fast story, aarti, mantra of the ninth day of Navratri.

Know what is the method of worship:

A special Havan is performed on this day in Durga Puja. This is also the last day of Nav Durga, hence other deities are also worshiped after Mata Siddhidatri on this day. First of all, havan and aarti are done by installing the picture or idol of Siddhidatri on the position of mother. On this day there is a special law for the complete recitation of Durga Saptashati.

Story of Mata Siddhidatri:

According to the mythology, Lord Shiva attained all the eight siddhis by doing severe penance of Maa Siddhidatri. At the same time, due to the grace of Mother Siddhidatri, half the body of Lord Shiva had become a goddess and he was called Ardhanarishvara. This is a very powerful form of Maa Durga. According to the scriptures, this form of Goddess Durga has appeared from the brilliance of all the gods and goddesses. It is said that all the deities had gone to Lord Shiva and Lord Vishnu after being troubled by the atrocities of the demon Mahishasura. Then a radiance arose from all the deities present there. From that radiance a divine power was created. She is known as Maa Siddhidatri.

According to mythological belief, Maa Siddhidatri has eight siddhis. Mata Rani fulfills her devotees with all the eight siddhis. Maa Siddhidatri likes purple or purple color. In such a situation, the devotee should worship Mother Siddhidatri by wearing clothes of this color on the day of Navami. It is believed that by doing this the blessings of the mother always remain.

Names of eight siddhis
Anima
glory
dignity
laghima
Receipt
practicable
godliness
Vashitva

Aarti of Maa Siddhidatri:


Jai Siddhidatri Maa Tu Siddhi Ki Data ।
Tu Bhakto Ki Rakshak Tu daso Ki Mata ।।

Tera Naam Lete Hi Milti Hai Siddhi ।
Tere Naam Se Mann Ki Hoti Hai Shuddhi ।।

Kathin Kaam Siddh Karti Ho Tum ।
Jabhi Haath Sevak Ke Sirr Dharti Ho Tum ।।

Teri Puja Me To Na Koi Vidhi Hai ।
Tu Jagdambe Daati Tu Sarv Siddhi Hai ।।

Ravibar Ko Tera Sumiran Kare Jo ।
Teri Murti Ko Hi Mann Me Dhare Jo ।।

Tu Sab Kaaj Uske Karti Hai Pure ।
Kabhi Kaam Uske Rahe Na Adhure ।।

Tumhari Daya Aur Tumhari Yah Maya ।
Rakhe Jiske Sirr Par Maiya Apni Chhaya ।।

Sarv Siddhi Daati wah Hai Bhagyashali ।
Jo Hai Tere Dar Ka Hi Ambe Savali ।।

Himachal Hai Parvat Jahan Vaas Tera ।
Maha Nanda Mandir Me Hai Vaas Tera ।।

Mujhe Aasra Hai Tumhara Hi Mata ।
Bhakti Hai Savali Tu Jiski Data ।।

Mantras of Maa Siddhidatri:

Siddha Gandharva Yakshadyairsurairmarairpi.
Sevyamana always bhuyat siddhida siddhidayini.

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