F:- भगवान भोलेनाथ के चौथे ज्योतिर्लिंग श्री ओम्कारेश्वर धाम को संजो बघेल का
शत शत वंदन शत शत नमन प्रिय भक्तो आज हम ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग
की चर्चा करते है एक पावन ज्योतिर्लिंग मध्य्प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा
नदी के बीच मन धाता नामक टापू पर है यह भगवान शिव के बारह
ज्योतिर्लिंग में इनका चौथा स्थान है आइये आगे सुनते है-
माँ नर्मदा किनारे पर्वत है एक प्यारा
माँ नर्मदा किनारे पर्वत है एक प्यारा
ये पर्वत तो टापू है मन धाता जिसका नाम
इस पर्वत पर भोले का है सुन्दर पावन धाम
कोरस :- इस पर्वत पर भोले का है सुन्दर पावन धाम
F:- प्रिय भक्तो ओम्कारेश्वर धाम के आस पास दूर दूर तक सदियों पहले भीलो
की बस्तियां थी भीलो के विशाल समुदाय थे और भील वंश के राजा थे अब ये
जगह इतनी सुन्दर और विकसित हो गयी है कहते है भील राजा मन्धाता ने
शिव जी की तपस्या किया तो शिवजी ने उसे दर्शन देकर धन्य किया जिस
टापू पर ज्योतिर्लिंग विराजमान है इस पर्वत खंड को राजा मन्धाता के नाम से
बोला जाने लगा इसे शिवपुरी भी कहते है सब कृपा भोले की है आइये आगे सुनते है
जो शिव की तपस्या राजा ने किया
भोले ने दर्शन राजा को दिया
जो शिव की तपस्या राजा ने किया
भोले ने दर्शन राजा को दिया
राजा का नाम था मन्धाता
भोले का भक्त वो कहलाता
कोरस :- राजा का नाम था मन्धाता
भोले का भक्त वो कहलाता
F:- शिवलिंग के रूप में देखा
शंकर जी यहाँ पे साजे
ये बात है बहुत ही पुरानी
शम्भु के युग से विराजे
ये जो त्रिलिंग पुण्य हमे
ये जो त्रिलिंग पुण्य हमे
देता है आठो याम
F:- मन्धाता टापू पर नर्मदा नदी को दो धाराओं में बट जाने से दो धारा बहने लगी एक धारा
को ओम्कारेश्वर दूसरी को अमलेश्वर कहने लगे लेकिन दोनों का एक ही महत्त्व है एक
ही पहचाना है एक ही माना है कहते है इस ज्योतिर्लिंग को किसी मानव द्वारा निर्मित
नहीं किया गया कुदरत के द्वारा ही बना है लोग इस पर्वत की परिक्रमा करके सुख
शांति का फल भी प्राप्त करते है कार्तिक पूर्णिमा को इस पर्वत पर विशाल मेला लगता
है आइये आगे सुनते है क्या हुआ -
ये शिवलिंग है रेवा तट पर
कहलाता है ओमकारेश्वरः
ये शिवलिंग है रेवा तट पर
कहलाता है ओमकारेश्वरः
रेवा दो भाग में बटती है
दो धारा बनके बहती है
कोरस :- रेवा दो भाग में बटती है
दो धारा बनके बहती है
F:- ओम्कारेश्वर एक धारा
सुन्दर है जहा नजारा
और दूसरी है अमलेश्वर
दर्शन दोनों का प्यारा
दोनों की पहचान एक है
दोनों की पहचान एक है
दोनों को प्रणाम
इस पर्वत पर भोले का है सुन्दर पावन धाम
कोरस :- इस पर्वत पर भोले का है सुन्दर पावन धाम
F:- और इतिहास बताता है पहले उस समय नाथू भील वहां के राजा थे लेकिन अंग्रेजो का
जब शासन आया तो अंग्रेजो ने इनका राज पाट छुड़ा दिया भील थे लड़ाकू नहीं थे
अंग्रेजो ने इन भीलो पर अत्याचार किया लेकिन सिविलन को आंच नहीं आने दी
भगवान भोले नाथ की दया भीलो पर बनी रही शिव कृपा से ही आज भी मन्धाता नाम
अमर है कहते है शिव की भक्ति करने वाले अमर हो जाते है सच है आगे सुनिये -
यहाँ अंग्रेजो ने जो राज किया
राजाओ का भी ताज लिया
यहाँ अंग्रेजो ने जो राज किया
राजाओ का भी ताज लिया
नत्थू राजा था भील यहाँ
उसके रहते सब ठीक रहा
कोरस :- नत्थू राजा था भील यहाँ
उसके रहते सब ठीक रहा
F:- अंग्रेज यहाँ जो आये
राजाओ से सब छिना
बोले भक्तो का भी
कर देंगे मुश्किल जीना
ज्योतिर्लिंग का कर ना सके
ज्योतिर्लिंग का कर ना सके
कुछ रहे यहाँ ना काम
इस पर्वत पर भोले का है सुन्दर पावन धाम
कोरस :- इस पर्वत पर भोले का है सुन्दर पावन धाम
F:- एक कथा के अनुसार ओम्कारेश्वर का निर्माण नर्मदा नदी से स्वयं ही हुआ है यह नदी
भारत वर्ष की पवित्र नदियों में से एक है जिस ओम्कारेश्वर शब्द का उच्चारण सर्वपर्थम
सृष्टिकर्ता विधाता के मुख से हुआ वेद के पाठ में ॐ का उच्चारण होता है ॐ कितना
पावन धाम कहलाया इस धाम में 33 कोटि के देवता पुरे परिवार सहित वास करते है
यहाँ 68 तीर्थ भी है ओम्कारेश्वर धाम इतना पवित्र और फलदायक है यहाँ नदी में
नर्मदा स्नान से कई तीर्थो का पुण्य प्राप्त होता है आइये आगे और कुछ सुनाते है -
करते सपने साकार यहाँ
बैठे भोले ओमकार यहाँ
करते सपने साकार यहाँ
बैठे भोले ओमकार यहाँ
ओम्कारेश्वर जो भी आ जाये
कृपा भोले की पा जाए
कोरस :- कृपा भोले की पा जाए
F:- खुशियों का बरसे सावन
ये तीरथ है मन भावन
जो करता यहाँ के दर्शन
फल देते अलख निरंजन
मुक्ति मिलती भक्ति मिलती
मुक्ति मिलती भक्ति मिलती
बनते संजो काम
इस पर्वत पर भोले का है सुन्दर पावन धाम
कोरस :- इस पर्वत पर भोले का है सुन्दर पावन धाम
माँ नर्मदा किनारे पर्वत है एक प्यारा
माँ नर्मदा किनारे पर्वत है एक प्यारा
ये पर्वत तो टापू है मन धाता जिसका नाम
इस पर्वत पर भोले का है सुन्दर पावन धाम
कोरस :- इस पर्वत पर भोले का है सुन्दर पावन धाम
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