Current Date: 23 Dec, 2024

ओ साँवरे तेरे खेल निराले है

- Vishwajeet Chauhan


स्थाई:-    जिसने तुझको चाहा उसके दुख तूने टाले हैं 
    भक्तों के सब बिगड़े तूने काम संभाले हैं -2
    औ सांवरे तेरे खेल निराले हैं……………-2

अंतरा :-    नरसी भगत ने जब याद किया था
    रामा बेटी का तुमने भात दिया था
    नरसी भगत ने जब याद किया था
    रामा बेटी का तुमने भात दिया था

तोड़ :-    पूरे नगर में बाटे तुमने शॉल  दुशाले हैं
    ओ सांवरे तेरे खेल निराले हैं …………..-2

अंतरा :-    जन्म लिया जब तुमने मथुरा की जेल में
    सुला दिए पेहरे वाले निंदिया के खेल में
    जन्म लिया जब तुमने मथुरा की जेल में
    सुला दिए पेहरे वाले निंदिया के खेल में

तोड़ :-    बिना चाबी के खुल गए पल में जेल के ताले रे
     ओ सांवरे तेरे खेल निराले रे …………….

अंतरा :-    यार सुदामा आया जब तेरे द्वारे 
    दो मुट्ठी चावल में ही दुख सब निवारे 

 तोड़ :-    रो रो के आंसू से जल से पग धो डाले हैं 
    ओ सांवरे तेरे खेल निराले हैं …………..-2

अंतरा :-    मीरा को राणा ने विष पीने दिया 
    उस विष को अमृत तूने पल में किया 

 तोड़ :-    कहे अनाड़ी विश्वजीत अब तेरे हवाले हैं
     वह सांवरे तेरे खेल निराले हैं ……………-2
 

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