Current Date: 19 Nov, 2024

ओ माँ

- Chetna Shukla


F:-    ओ माँ तू तो जाने व्यथा मन की 
    अँखियाँ जो छुप छुप रोई तुझसे छुपी  न कोई 
    हरी तूने हर पीड़ा दुखियन की 
कोरस:-     ओ माँ तू तो जाने व्यथा मन की 
    अँखियाँ जो छुप छुप रोई तुझसे छुपी  न कोई 
    हरी तूने हर पीड़ा दुखियन की 
F:-    ओ माँ
F:-    पर्वत त्रिकूटपे चढके कन्या का रूप धरके तुमने बसाया वैष्णोधाम -2
    सुनली तूने सदा श्रीधर की देके उसे  सहारा, 
    करवाके  फिर भंडारा भरी  ,झोली तूने एक  निर्धन की 
कोरस:-    ओ मां 
F:-    भैरव ने तुझसे माँगा ,मांस मदिरा प्याला अहंकार तूने ही तोडा -2
    भैरो घाटी गिरा सर कट के मांगी क्षमा जो उसने 
    करके दया फिर तुमने लाज रखली उसके असुवन की 
कोरस:-    ओ माँ तू तो जाने व्यथा मन की 
    अँखियाँ जो छुप छुप रोई तुझसे छुपी  न कोई 
    हरी तूने हर पीड़ा दुखियन की ओ माँ
 

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