Current Date: 18 Dec, 2024

ओ भूतनाथ बाबा

- संजय मित्तल


ओ भूतनाथ बाबा,
क्या खेल रचाया है,
दुनिया ये रची तूने,
सब तेरी माया है,
ओ भूतनाथ बाबा,
क्या खेल रचाया है।।

तर्ज – होंठो से छु लो तुम।

महलों में दुःख देखे,
सड़को पे खुशहाली,
महलों में दुःख देखे,
सड़को पे खुशहाली,
कोई राजा किस्मत का,
कोई किस्मत से खाली,
सब तेरी लीला है,
सब तेरा फ़साना है,
ओ भूत नाथ बाबा,
क्या खेल रचाया है।।

कोई फूलों पे सो ना सके,
कोई काटों पे सोता है,
कोई फूलों पे सो ना सके,
कोई काटों पे सोता है,
कहीं मौत हुई सस्ती,
कहीं जीवन महंगा है,
कोई खुशियों में डूबा है,
कोई गम का मारा है,
ओ भूत नाथ बाबा,
क्या खेल रचाया है।।

कोई जन्म से पहले मरे,
कोई मरकर जीता है,
कोई जन्म से पहले मरे,
कोई मरकर जीता है,
कोई घाव लगाता है,
कोई जख्मो को सिता है,
ये कैसी हकीकत है,
ये कैसा फ़साना है,
ओ भूत नाथ बाबा,
क्या खेल रचाया है।।

कोई दुःख को सुख समझे,
कोई सुख में रोता है,
कोई दुःख को सुख समझे,
कोई सुख में रोता है,
आशा और तृष्णा का,
कभी अंत ना होता है,
इस भूल भुलैया में,
पड़ा दास बेचारा है,
ओ भूत नाथ बाबा,
क्या खेल रचाया है।।

ओ भूतनाथ बाबा,
क्या खेल रचाया है,
दुनिया ये रची तूने,
सब तेरी माया है,
ओ भूतनाथ बाबा,
क्या खेल रचाया है।।

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