नीलकंठ पे गई थी बाबा का रंग चढ़ गया,
हरिद्वार मैं गई थी बाबा का रंग चढ़ गया,
सास न मैं ले गई है सुसरा भी संग चढ़ गया,
सास धोक मारै हे सुसरा तो मौधा पड़ गया,
पड़ गया पड़ गया पड़ गया हे हरिद्वार मैं रुक्का पड़ गया.....
जेठानी न मैं ले गई जेठा भी गैल्या चढ़ गया,
जेठानी धोक मारै हे जेठा तो मौधा पड़ गया,
पड़ गया पड़ गया पड़ गया हे हरिद्वार मैं रुक्का पड़ गया....
दोराणी न मैं ले गई है देवर भी गैल्या चढ़ गया,
जेठानी धोक मारै हे जेठा तो मौधा पड़ गया,
पड़ गया पड़ गया पड़ गया हे हरिद्वार मैं रुक्का पड़ गया.....
नंदी न पै ले गई हे नन्दोंईया गैल्या चढ़ गया,
नंदी धोक मारै हे नन्दोंईया तो मौधा पड़ गया,
पड़ गया पड़ गया पड़ गया हे हरिद्वार मैं रुक्का पड़ गया....
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