Current Date: 17 Nov, 2024

नवग्रह चालीसा

- Avinash Karn


॥दोहा॥    कनकबदनकुण्डलमकर, मुक्तामालाअंग॥
    पद्मासनस्थितध्याइए, शंखचक्रकेसंग॥
M:-    आइये सुनते है नवग्रह चालीसा
    
M:-    जयसविताजयजयतिदिवाकर!,सहस्त्रांशु! सप्ताश्वतिमिरहर॥
 कोरस :-     भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!,सविताहंस! सुनूरविभाकर॥ 1॥

M:-    विवस्वान! आदित्य! विकर्तन, मार्तण्डहरिरूपविरोचन॥
कोरस :-     अम्बरमणि! खग! रविकहलाते, वेदहिरण्यगर्भकहगाते॥ 2॥

M:-    सहस्त्रांशुप्रद्योतन, कहिकहि, मुनिगनहोतप्रसन्नमोदलहि॥
कोरस :-     अरुणसदृशसारथीमनोहर, हांकतहयसाताचढ़िरथपर॥ 3॥

M:-    मंडलकीमहिमाअतिन्यारी, तेजरूपकेरीबलिहारी॥
कोरस :-     उच्चैःश्रवासदृशहयजोते, देखिपुरन्दरलज्जितहोते॥ 4॥

M:-    मित्रमरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, सवितासूर्यअर्कखगकलिकर॥
कोरस :-     पूषारविआदित्यनामलै, हिरण्यगर्भायनमःकहिकै॥ 5॥

M:-    द्वादसनामप्रेमसोंगावैं, मस्तकबारहबारनवावैं॥
कोरस :-     चारपदारथजनसोपावै, दुःखदारिद्रअघपुंजनसावै॥ 6॥

M:-     नमस्कारकोचमत्कारयह, विधिहरिहरकोकृपासारयह॥
कोरस :-     सेवैभानुतुमहिंमनलाई, अष्टसिद्धिनवनिधितेहिंपाई॥ 7॥
M:-    बारहनामउच्चारनकरते, सहसजनमकेपातकटरते॥
कोरस :-     उपाख्यानजोकरतेतवजन, रिपुसोंजमलहतेसोतेहिछन॥ 8॥

M:-    धनसुतजुतपरिवारबढ़तुहै, प्रबलमोहकोफंदकटतुहै॥
कोरस :-     अर्कशीशकोरक्षाकरते, रविललाटपरनित्यबिहरते॥ 9॥

M:-    सूर्यनेत्रपरनित्यविराजत, कर्णदेसपरदिनकरछाजत॥
कोरस :-     भानुनासिकावासकरहुनित, भास्करकरतसदामुखकोहित॥ 10॥

M:-    ओंठरहैंपर्जन्यहमारे, रसनाबीचतीक्ष्णबसप्यारे॥
कोरस :-     कंठसुवर्णरेतकीशोभा, तिग्मतेजसःकांधेलोभा॥ 11॥

M:-    पूषांबाहूमित्रपीठहिंपर, त्वष्टावरुणरहतसुउष्णकर॥
कोरस :-     युगलहाथपररक्षाकारन, भानुमानउरसर्मसुउदरचन॥ 12॥

M:-     बसतनाभिआदित्यमनोहर, कटिमंह, रहतमनमुदभर॥
M:-     जंघागोपतिसविताबासा, गुप्तदिवाकरकरतहुलासा॥ 13॥

M:-     विवस्वानपदकीरखवारी, बाहरबसतेनिततमहारी॥
कोरस :-     सहस्त्रांशुसर्वांगसम्हारै, रक्षाकवचविचित्रविचारे॥ 14॥

M:-     असजोजनअपनेमनमाहीं, भयजगबीचकरहुंतेहिनाहीं॥
कोरस :-    दद्रुकुष्ठतेहिंकबहुनव्यापै, जोजनयाकोमनमंहजापै॥ 15॥


M:-    अंधकारजगकाजोहरता, नवप्रकाशसेआनन्दभरता॥
कोरस :-     ग्रहगनग्रसिनमिटावतजाही, कोटिबारमैंप्रनवौंताही॥ 16॥

M:-    मंदसदृशसुतजगमेंजाके, धर्मराजसमअद्भुतबांके॥
कोरस :-     धन्य-धन्यतुमदिनमनिदेवा, कियाकरतसुरमुनिनरसेवा॥ 17॥

M:-     भक्तिभावयुतपूर्णनियमसों, दूरहटतसोभवकेभ्रमसों॥
कोरस :-     परमधन्यसोंनरतनधारी, हैंप्रसन्नजेहिपरतमहारी॥ 18॥

M:-    अरुणमाघमहंसूर्यफाल्गुन, मधुवेदांगनामरविउदयन॥
कोरस :-     भानुउदयबैसाखगिनावै, ज्येष्ठइन्द्रआषाढ़रविगावै॥ 19॥

M:-    यमभादोंआश्विनहिमरेता, कातिकहोतदिवाकरनेता॥
कोरस :-     अगहनभिन्नविष्णुहैंपूसहिं, पुरुषनामरविहैंमलमासहिं॥ 20॥

॥दोहा॥    भानुचालीसाप्रेमयुत, गावहिंजेनरनित्य॥
     सुखसम्पत्तिलहिबिबिध, होंहिंसदाकृतकृत्य॥

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