F:- माता नर्मदा और माता गंगा जी को संजो बघेल का बारम्बार प्रणाम बारम्बार
सादर वंदन प्रिय भक्तो पतित पावनी जीवन दायनी भक्तो को हर दुःख से
छुटकारा दिलाने वाली इन दोनों नदियों को प्रणाम करते है और गंगा जी
जिन्हे हम साक्षात् देवी मानते है इनके बारे में आज प्रेम पूर्वक कुछ चर्चा करते
है दोनों का इतिहास कुछ कुछ अलग है बहने की दिशा भी अलग है किन्तु
दोनों का मकसद उपकार है जन कल्याण ही है आइये कुछ जानते है -
शीतल है जिनकी लहरें पावन है जिनकी धारा
शीतल है जिनकी लहरें पावन है जिनकी धारा
ऐसी पावन धारा है जो करती भव से पार
हे एक नर्मदा मायी दूजी गंगा की धार
कोरस :- हे एक नर्मदा मायी दूजी गंगा की धार
F:- भक्तो कहते है गंगा जी के किनारे तप करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है गंगा
के आस पास एक से एक ज्ञानी पुरुष हुए प्रमाण भी है लेकिन नर्मदा किनारे
तप करने से लोग महान तपस्वी हुए बाबा धुनि वाले केशवानंद जी जिनकी
समाधि खंडवा में बनी है ये भी एक उदाहरण है दूसरी विशेषता गंगा जी में
तीन दिन लगातार जो डुबकी लगाने से मिलता है वही पुण्य नर्मदा जी में
केवल दर्शन करने से ही मिल जाता है आइये कैसे सुनते है -
गंगा के किनारे हमे ज्ञान मिले रे वास तपी को मान मिले
गंगा के किनारे हमे ज्ञान मिले रे वास तपी को मान मिले
दोनों का अमृत पानी है दोनों नदियाँ वरदानी है
कोरस :- दोनों का अमृत पानी है दोनों नदियाँ वरदानी है
F:- हे पतित पावनी दोनों दोनों ही पाप उतारे
गंगा की डुबकी पावन रेवा दर्शन से तारे
युगो युगो से दोनों की युगो युगो से दोनों की
होती है जय जयकार है एक नर्मदा माई दूजी गंगा की धार
कोरस :- है एक नर्मदा माई दूजी गंगा की धार
F:- प्रिय भक्तो अब माँ गंगा जी की बात करते है कहते है माँ गंगा गंगोत्री से
बंगाल की खाड़ी तक 2507 किलोमीटर का सफर करती है लेकिन
इलाहबाद में जो माता का संगम है दूसरी जगह कही नहीं है इसे त्रिवेणी
कहते है यहाँ गंगा यमुना सरस्वती तीनो नदियों का मिलाप हुआ है यह संगम
अति पावन और पवित्र माना जाता है ये स्थान महान तीरथ कहलाता है इसे
सारे तीर्थो का राजा कहा जाता है यहाँ विशेष मेला लगता है देश और विदेश
से लोग हरदम आते है यहाँ एक डुबकी से सारे पापो का नाश होता है कैसे
सुनिए -
गंगा में ऐसा संगम है सारे तीरथ में जो उत्तम है
गंगा में ऐसा संगम है सारे तीरथ में जो उत्तम है
संगम त्रिवेणी कहलाये इसमें जो डुबकी लगा जाए
कोरस :- संगम त्रिवेणी कहलाये इसमें जो डुबकी लगा जाए
F:- वो लुटे पुण्य निराला गंगा मैया परतापी
लोगो ने हमे बताया पावन हो जाते पापी
राम पूर्वज पड़े थे श्रापित राम पूर्वज पड़े थे श्रापित
दिया है उनको तार है एक नर्मदा माई दूजी गंगा की धार
कोरस :- है एक नर्मदा माई दूजी गंगा की धार
F:- भक्तो गंगा जी को भागीरथ भी कहा जाता है क्युकी भगवान श्री राम के पूर्वज
महाराज भागीरथ जी की तपस्या के कारण ही गंगा जी स्वर्ग से धरती पर
आयी है भगीरथ जी गंगा को धरती पर लाने की तपस्या इसलिए किये थे
उनके पूर्वज राजा सागर श्रापित थे जो अनेको वर्षो से एक जगह पर पड़े रहे
इनको तारने के लिए गंगा जी को धरती पर लाये भगवान राम ने भी गंगा जी
की वंदना की आइये हम भी गंगा जी की महिमा का गुणगान करते है -
रेवा के तट पर जो कंकर है सारे कहलाते वो शंकर है
रेवा के तट पर जो कंकर है सारे कहलाते वो शंकर है
गंगा मैया पूरब में चली और नर्मदा जी उलटी गली
कोरस :- गंगा मैया पूरब में चली और नर्मदा जी उलटी गली
F:- जो रेवा की थी सहेली रेवा के दिल को दुखाया
रेवा को देकर धोखा खुद अपना बयाह रचाया
सोन भद्र को जीवन साथी सोन भद्र को जीवन साथी
किया नहीं स्वीकार एक नर्मदा माई दूजी गंगा की धार
कोरस :- है एक नर्मदा माई दूजी गंगा की धार
F:- प्रिय भक्तो अब हम माँ नर्मदा जी के बारे में थोड़ा इतिहास जाने माँ नर्मदा जी
मध्य्प्रदेश के मेखल पर्वत के अमर कंटक की चोटी से अवतरित हुई है और
शिव शंकर जी की पुत्री कही जाती है अमर कंटक से खम्बात की खाड़ी तक
इनकी यात्रा केवल 1312 किलोमीटर है इनका विवाह सोन भद्र से होना था
किन्तु इनकी सहेली जुहला ने इनको अपना पति बना लिया जिससे नर्मदा
बहुत क्रोधित हो गयी उलटी दिशा में चल पड़ी प्रिय भक्तो गंगा जी का तेज
इतना अधिक था की अगर भोलेनाथ अपनी जटाओ में नहीं रोकते तो गंगा जी
पातळ लोक में समा जाती दूसरी बात माँ रेवा भी वरदानी है उन्होंने भी अपने
पिता शंकर जी से तप करने के बाद वर माँगा की वो इस धरती पर प्रलयकाल
में भी रहे और अपने भक्तो को कष्टों से मुक्त करती रहे प्रिय भक्तजनो दोनों
के घाटों पर अनेक तीरथ है जहाँ पर भक्तो की भीड़ बानी रहती है नर्मदा जी
में लमेटा घाट जबलपुर का बड़ा ही पावन स्थान है यहाँ पर कभी आइये तो -
इनको पूजे देवी माने महिमा इनकी दुनिया जाने
इनको पूजे देवी माने महिमा इनकी दुनिया जाने
लाखो जीवो को पाले माँ भक्तो के कष्ट निकाले माँ
कोरस :- लाखो जीवो को पाले माँ भक्तो के कष्ट निकाले माँ
F:- गंगा जी स्वर्ग से आये और शिव की जटा में विराजी
माँ रेवा यहाँ निरंजन है मगर के ऊपर विराजी
दोनों घाटों पर संजो दोनों घाटों पर संजो निशदिन होते त्यौहार
एक नर्मदा माई दूजी गंगा की धार
कोरस :- है एक नर्मदा माई दूजी गंगा की धार
F:- शीतल है जिनकी लहरें पावन है जिनकी धारा
शीतल है जिनकी लहरें पावन है जिनकी धारा
ऐसी पावन धारा है जो करती भव से पार
हे एक नर्मदा मायी दूजी गंगा की धार
कोरस :- हे एक नर्मदा मायी दूजी गंगा की धार
हे एक नर्मदा मायी दूजी गंगा की धार
हे एक नर्मदा मायी दूजी गंगा की धार
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