Current Date: 22 Nov, 2024

नमामी शमीशान

- Akshya


F:-    नमामीशमीशान निर्वाणरूपं , नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
     विभुंव्यापकं ब्रह्म विभुंव्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपं ।
    नमामीशमीशान निर्वाणरूपं , नमामीशमीशान निर्वाणरूपं

F:-    निजंनिर्गुणंनिर्विकल्पं निरीहं , चिदाकाशमाकाशवासंभजेऽहं 
    निजंनिर्गुणंनिर्विकल्पं निरीहं , चिदाकाशमाकाशवासंभजेऽहं
    विभुंव्यापकं ब्रह्म विभुंव्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपं ।
    नमामीशमीशान निर्वाणरूपं , नमामीशमीशान निर्वाणरूपं

F:-    निराकार ॐकारमूलं तुरीयं , गिराज्ञान गौतीतमीशं गिरीशं ।
    निराकार ॐकारमूलं तुरीयं , गिराज्ञान गौतीतमीशं गिरीशं ।
    करालं महाकाल करालं महाकाल कालं कृपालं ।
    गुणागार संसार गुणागार संसार पारं नतोऽहं

F:-    तुषाराद्रिसंकाश गौरं गभीरं , मनोभूतकोटि प्रभाश्रीशरीरं ।
    तुषाराद्रिसंकाश गौरं गभीरं , मनोभूतकोटि प्रभाश्रीशरीरं ।
    स्फुरन्मौलि कल्लोलिनि स्फुरन्मौलि कल्लोलिनि चारुगंगा 
     लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा ।

F:-    चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं , प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालं ।
    चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं , प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालं ।
    मृगाधीश चर्माम्बरं मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं
    प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ।

F:-    प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं , अखण्डं अजं भानुकोटि प्रकाशं।
    प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं , अखण्डं अजं भानुकोटि प्रकाशं।
    त्रयः शूलनिर्मू त्रयः शूलनिर्मू लनं शूलपाणिं 
    भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यं भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यं ।

F:-    कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी , सदासद्चिदानन्द दाता पुरारि।
    कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी , सदासद्चिदानन्द दाता पुरारि।
    चिदानन्द सन्दोह चिदानन्द सन्दोह मोहापहारि 
    प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारि प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारि ।

F:-    नवावत् उमानाथपादारविन्दं , भजन्तीह लोके परे वा नराणां ।
    नवावत् उमानाथपादारविन्दं , भजन्तीह लोके परे वा नराणां ।
    न तावत्सुखं न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं 
    प्रसीद प्रभो सर्व भूताधिवासं प्रसीद प्रभो सर्व भूताधिवासं ।
    
F:-    न जानामि योगं जपं नैव पूजां ,नतोऽहं सदासर्वदा शम्भु तुभ्यं।
    न जानामि योगं जपं नैव पूजां ,नतोऽहं सदासर्वदा शम्भु तुभ्यं।
    जराजन्मदुःखौ जराजन्मदुःखौ ऽघतातप्यमानं
     प्रभो पाहि आपन् नमामीश शम्भो प्रभो पाहि आपन् नमामीश शम्भो ।

F:-    रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये , ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ।।

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