तर्ज - मेरे मन मे पारस नाथ....
नाकोड़ा के भैरव नाथ
रहते भक्तो के साथ
जिसने प्रेम से लिया भैरव नाम रे
उसके बन जाये हर काम रे
नाकोड़ा के भैरव नाथ .....
सेवक पार्श्व प्रभु के प्यारे
जैसे चाँद के संग में तारे
रहते प्रभु की सेवा में आठो याम रे
जिनका मेवा नगर में धाम रे
नाकोड़ा के भैरव नाथ .....
जिनके मुख पे बरसे नूर
बाबा कलयुग में मशहूर
जिसने जीवन किया इनके नाम रे
उसके बन जाये हर काम रे
नाकोड़ा के भैरव नाथ .....
संघवी धेवर चंद बलिहारी
आये भैरव देव शरण तुम्हारी
पुत्र रंजीत भैरव तेरा दास रे
देवेश " दिलबर "के बनाये हर काम रे
उसके बन जाये हर काम रे
नाकोड़ा के भैरव नाथ .....
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