याद आ रही है,
मुझे याद आ रहीं है,
तेरे खाटू की वो गलियाँ,
मुझको बुला रही है,
याद आ रहीं है,
मुझे याद आ रहीं है।।
तर्ज – याद आ रही हैं।
तुम ही बताओ बाबा,
है कौन मेरा संसार में,
कहाँ मिलेगा वो सुख,
जो है तेरे दरबार में,
दुनियाँ से मुझे दर्द मिला है,
हर पल रुला रही है,
याद आ रहीं है,
मुझे याद आ रहीं है।।
खाटू जब आते थे,
हम बाबा तेरे गाँव में,
मिलती सारी खुशियाँ,
तेरे चरणों की छाव में,
ग्यारस आती हम नहीं आते,
मुश्किल बढ़ा रही है,
याद आ रहीं है,
मुझे याद आ रहीं है।।
हर ग्यारस में बाबा,
वो गूंज तेरे जयकारों की,
भीड़ तेरी चौखट पर,
हारे किस्मत के मारों की,
महक तेरे मंदिर की बाबा,
मन को लुभा रही है,
याद आ रहीं है,
मुझे याद आ रहीं है।।
सब कुछ पहले जैसा,
तुम फिर से कर दो सांवरे,
अपनी किरपा से झोली,
हम सब की भर दो सांवरे,
‘सोनी’ की धड़कन बस,
तेरा नाम गा रही है,
याद आ रहीं है,
मुझे याद आ रहीं है।।
याद आ रही है,
मुझे याद आ रहीं है,
तेरे खाटू की वो गलियाँ,
मुझको बुला रही है,
याद आ रहीं है,
मुझे याद आ रहीं है।।
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