मिलने को तरसता हूं जीता हूं ना मरता हूं।
मुझे दर पे बुलाले मां मिलने को तरसता हूं
1
सांसों में है तू मैया नजरों में समाई है
भीगी हैं मेरी पलकें जब याद तू आई है
कोई जाने ना दर्द मेरा कितना मैं तड़पता हूं
मुझे दर पे बुलाले मां मिलने को तरसता हूं
2
सुनके मां सदा मेरी तू पास जो आ जाती
सच कहता हूं मां मेरी दुनिया ही बदल जाती
बंजारों सा बेघर हूं पागल सा भटकता हूं
मुझे दर पे बुलाले मां मिलने को तरसता हूं
3
अब तू ही बता मैया कैसे मैं सहूँ दूरी
जो मन की मुरादें हैं कर दे मां सभी पूरी
बड़ा गमगीन बलजीत मैं रोता हूं बिलखता हूं
मुझे दर पे बुलाले मां मिलने को तरसता हूं
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