Current Date: 26 Dec, 2024

मोहिनी एकादशी व्रत कथा (Mohini Ekadashi fast story)

- The Lekh


"मोहिनी एकादशी व्रत कथा

अर्जुन ने संयम और श्रद्धा से युक्त कथा को सुनकर श्रीकृष्ण से कहा - ""हे मधुसूदन! वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है तथा उसके उपवास को करने का क्या विधान है? कृपा कर यह सब मुझे विस्तारपूर्वक बताइये।""

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श्रीकृष्ण ने कहा - ""हे अर्जुन! मैं एक पौराणिक कथा सुनाता हूँ, जिसे महर्षि वशिष्ठजी ने श्रीरामचन्द्रजी से कहा था। उसे मैं तुमसे कहता हूँ, ध्यानपूर्वक श्रवण करो - एक बार की बात है, श्रीरामजी ने महर्षि वशिष्ठ से कहा - 'हे गुरुश्रेष्ठ! मैंने जनकनन्दिनी सीताजी के वियोग में बहुत कष्ट भोगे हैं, अतः मेरे कष्टों का नाश किस प्रकार होगा? आप मुझे कोई ऐसा व्रत बताने की कृपा करें, जिससे मेरे सभी पाप और कष्ट नष्ट हो जाएँ।' बाबा श्याम जी का सबसे मनमोहक भजन: खाटू वाले शीश के दानी

महर्षि वशिष्ठ ने कहा - 'हे श्रीराम! आपने बहुत उत्तम प्रश्न किया है। आपकी बुद्धि अत्यन्त कुशाग्र और पवित्र है। आपके नाम के स्मरण मात्र से ही मनुष्य पवित्र हो जाता है। आपने लोकहित में यह बड़ा ही उत्तम् प्रश्न किया है। मैं आपको एक एकादशी व्रत का माहात्म्य सुनाता हूँ - वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम मोहिनी एकादशी है। इस एकादशी का उपवास करने से मनुष्य के सभी पाप तथा क्लेश नष्ट हो जाते हैं। इस उपवास के प्रभाव से मनुष्य मोह के जाल से मुक्त हो जाता है। अतः हे राम! दुखी मनुष्य को इस एकादशी का उपवास अवश्य ही करना चाहिये। इस व्रत के करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।  बाबा श्याम जी का सबसे मनमोहक भजन: श्याम थारो नाम लागे भगता ने प्यारो

अब आप इसकी कथा को श्रद्धापूर्वक सुनिये - प्राचीन समय में सरस्वती नदी के किनारे भद्रावती नाम की एक नगरी बसी हुई थी। उस नगरी में द्युतिमान नामक राजा राज्य करता था। उसी नगरी में एक वैश्य रहता था, जो धन-धान्य से पूर्ण था। उसका नाम धनपाल था। वह अत्यन्त धर्मात्मा तथा नारायण-भक्त था। उसने नगर में अनेक भोजनालय, प्याऊ, कुएँ, तालाब, धर्मशालाएं आदि बनवाये, सड़को के किनारे आम, जामुन, नीम आदि के वृक्ष लगवाए, जिससे पथिकों को सुख मिले। उस वैश्य के पाँच पुत्र थे, जिनमें सबसे बड़ा पुत्र अत्यन्त पापी व दुष्ट था। वह वेश्याओं और दुष्टों की संगति करता था। इससे जो समय बचता था, उसे वह जुआ खेलने में व्यतीत करता था। वह बड़ा ही अधम था और देवता, पितृ आदि किसी को भी नहीं मानता था। अपने पिता का अधिकांश धन वह बुरे व्यसनों में ही उड़ाया करता था। मद्यपान तथा मांस का भक्षण करना उसका नित्य कर्म था। जब काफी समझाने-बुझाने पर भी वह सीधे रास्ते पर नहीं आया तो दुखी होकर उसके पिता, भाइयों तथा कुटुम्बियों ने उसे घर से निकाल दिया और उसकी निन्दा करने लगे। घर से निकलने के बाद वह अपने आभूषणों तथा वस्त्रों को बेच-बेचकर अपना गुजारा करने लगा।

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धन नष्ट हो जाने पर वेश्याओं तथा उसके दुष्ट साथियों ने भी उसका साथ छोड़ दिया। जब वह भूख-प्यास से व्यथित हो गया तो उसने चोरी करने का विचार किया और रात्रि में चोरी करके अपना पेट पालने लगा, लेकिन एक दिन वह पकड़ा गया, किन्तु सिपाहियों ने वैश्य का पुत्र जानकर छोड़ दिया। जब वह दूसरी बार पुनः पकड़ा गया, तब सिपाहियों ने भी उसका कोई लिहाज नहीं किया और राजा के सामने प्रस्तुत करके उसे सारी बात बताई। तब राजा ने उसे कारागार में डलवा दिया। कारागार में राजा के आदेश से उसे बहुत कष्ट दिए गये और अन्त में उसे नगर छोड़ने के लिए कहा गया। दुखी होकर उसे नगर छोड़ना पड़ा।   बाबा श्याम जी का सबसे मनमोहक भजन: दया कर दो ना

अब वह जंगल में पशु-पक्षियों को मारकर पेट भरने लगा। फिर बहेलिया बन गया और धनुष-बाण से जंगल के निरीह जीवों को मार-मारकर खाने और बेचने लगा। एक बार वह भूख और प्यास से व्याकुल होकर भोजन की खोज में निकला और कौटिन्य मुनि के आश्रम में जा पहुँचा।    बाबा श्याम जी का सबसे मनमोहक भजन: कमाल

इन दिनों वैशाख का महीना था। कौटिन्य मुनि गंगा स्नान करके आये थे। उनके भीगे वस्त्रों की छींटें मात्र से इस पापी को कुछ सद्बुद्धि प्राप्त हुई। वह अधम, ऋषि के पास जाकर हाथ जोड़कर कहने लगा - 'हे महात्मा! मैंने अपने जीवन में अनेक पाप किये हैं, कृपा कर आप उन पापों से छूटने का कोई साधारण और बिना धन का उपाय बतलाइये।' बाबा श्याम जी का सबसे मनमोहक भजन: इतिहास बना दूंगा

ऋषि ने कहा - 'तू ध्यान देकर सुन - वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत कर। इस एकादशी का नाम मोहिनी है। इसका उपवास करने से तेरे सभी पाप नष्ट हो जाएंगे।  बाबा श्याम जी का सबसे मनमोहक भजन: हारे का तू है सहारा सांवरे

ऋषि के वचनों को सुन वह बहुत प्रसन्न हुआ और उनकी बतलायी हुई विधि के अनुसार उसने मोहिनी एकादशी का व्रत किया।

हे श्रीराम! इस व्रत के प्रभाव से उसके सभी पाप नष्ट हो गये और अन्त में वह गरुड़ पर सवार हो विष्णुलोक को गया। संसार में इस व्रत से उत्तम दूसरा कोई व्रत नहीं है। इसके माहात्म्य के श्रवण व पठन से जो पुण्य प्राप्त होता है, वह पुण्य एक सहस्र गौदान के पुण्य के बराबर है।  बाबा श्याम जी का सबसे मनमोहक भजन: सांवरे मुझे तेरी जरुरत है

कथा-सार

प्राणी को सदैव सन्तों का संग करना चाहिये। सन्तों की संगत से मनुष्य को न केवल सद्बुद्धि प्राप्त होती है, अपितु उसके जीवन का उद्धार हो जाता है। पापियों की संगत प्राणी को नरक में ले जाती है।"  बाबा श्याम जी का सबसे मनमोहक भजन: चस्का श्याम की यारी का

Mohini Ekadashi fast story

Arjuna said to Shri Krishna after listening to the story full of restraint and devotion - ""O Madhusudan! What is the name of Ekadashi of Shukla Paksha of Vaishakh month and what is the procedure for observing its fast? Please tell me all this in detail."  Most adorable Bhajan of Baba Shyam Ji: Haar Nahi Hogi

Shri Krishna said - ""O Arjuna! I narrate a mythological story, which was told by Maharishi Vashishthaji to Shri Ramchandraji. I tell that to you, listen carefully - Once upon a time, Shri Ramji said to Maharishi Vashishtha - 'O Guru Shrestha! I have suffered a lot in the separation of Janakandini Sitaji, so how will my sufferings be destroyed? You please tell me such a fast, by which all my sins and sufferings will be destroyed.  Most adorable Bhajan of Baba Shyam Ji: Khatu Wale Sheesh Ke Dani

Maharishi Vashishtha said - 'O Shriram! You have asked a very good question. Your intelligence is very sharp and pure. Man becomes pure just by remembering your name. You have asked this very good question in public interest. Let me tell you the greatness of one Ekadashi fast - The name of Ekadashi of Shukla Paksha of Vaishakh month is Mohini Ekadashi. By fasting on this Ekadashi, all the sins and tribulations of man are destroyed. With the effect of this fasting man becomes free from the trap of attachment. That's why O Ram! A sad person must fast on this Ekadashi. By observing this fast, all the sins of a man are destroyed.   Most adorable Bhajan of Baba Shyam Ji: Shyam Tharo Naam Laage Bhagata Ne Pyaro

Now you listen to its story with devotion - In ancient times, a city named Bhadravati was situated on the banks of Saraswati river. A king named Dyutiman used to rule in that city. A Vaishya lived in the same city, who was full of wealth. His name was Dhanpal. He was very pious and a devotee of Narayan. He built many eateries, water fountains, wells, ponds, dharamshalas etc. in the city, planted trees of mango, jamun, neem etc. on the side of the roads, so that the pilgrims get happiness. That Vaishya had five sons, of whom the eldest son was extremely sinful and evil. He used to associate with prostitutes and the wicked. The time that was saved from this, he used to spend in gambling. He was very lowly and did not believe in gods, ancestors etc. He used to spend most of his father's money in bad addictions. Drinking and eating meat was his daily duty. When he didn't come on the straight path even after a lot of persuasion, his father, brothers and relatives threw him out of the house and started criticizing him. After leaving the house, he started living by selling his jewelery and clothes.   Most adorable Bhajan of Baba Shyam Ji: Jise Teri Kripa Ka Sahara Mil Gaya

When the money was destroyed, the prostitutes and his evil companions also left him. When he was distressed by hunger and thirst, he thought of stealing and started stealing in the night to feed himself, but one day he was caught, but the soldiers released him knowing that he was the son of Vaishya. When he was caught again for the second time, even the soldiers did not pay any heed to him and presented him before the king and told him the whole thing. Then the king put him in prison. In the prison, he was given a lot of trouble by the order of the king and in the end he was asked to leave the city. Saddened, he had to leave the city.  Most adorable Bhajan of Baba Shyam Ji: Daya Kardo Na

Now he started filling his stomach by killing animals and birds in the forest. Then he became a fowler and started killing and selling the innocent creatures of the forest with bow and arrow. Once, distraught with hunger and thirst, he went out in search of food and reached Kautinya Muni's hermitage.  Most adorable Bhajan of Baba Shyam Ji: Kamaal

These days it was the month of Vaishakh. Kautinya Muni had come after bathing in the Ganges. The mere sprinkling of his wet clothes brought some wisdom to this sinner. That wretch went to the sage and said with folded hands - 'O Mahatma! I have committed many sins in my life, please tell me some simple and inexpensive way to get rid of those sins.' Most adorable Bhajan of Baba Shyam Ji: Itahaas Bana Dunga

The sage said - 'You listen carefully - fast on the Ekadashi of Shukla Paksha of Vaishakh month. The name of this Ekadashi is Mohini. By fasting it all your sins will be destroyed.  Most adorable Bhajan of Baba Shyam Ji: Hare Ka Tu Hai Sahara Saanware

He was very happy after listening to the sage's words and according to the method told by him, he observed Mohini Ekadashi fast.

Hey Shriram! With the effect of this fast all his sins were destroyed and in the end he went to Vishnulok riding on Garuda. There is no other fast better than this fast in the world. The virtue that is obtained by hearing and reciting its greatness, that virtue is equal to the virtue of a thousand cows.    Most adorable Bhajan of Baba Shyam Ji: Saanware Mujhe Teri Jarurat Hai

Synopsis

The creature should always associate with the saints. By the company of saints, man not only gets good sense, but also his life is saved. The company of sinners takes the soul to hell.  Most adorable Bhajan of Baba Shyam Ji: Chaska Shyam Ki Yaari Ka

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