मेरी पहुँच बहुत है ऊंची,
मुझ पर है कृपा प्रभु की,
सेठो का सेठ निराला,
मेरे साथ है खाटू वाला,
जब तक है सहारा,
श्याम धणी मुझको तेरा,
कोई बाल नही बांका,
कर सकता है मेरा,
मेरी पहुँच बहुत है ऊंची।।
तर्ज – तेरी आंख्या को यो काजल।
कोई टाटा कोई बिरला,
कोई होगा अंबानी,
पर अपणा तो श्याम धणी,
जिसका न कोई सानी,
जब साथ है तू सांवरियां,
सुख चैन की निन्दर आवे,
कोई चिंता फिकर उदासी,
नजदीक न आने पावे,
जब तक है सहारा,
श्याम धणी मुझको तेरा,
कोई बाल नही बांका,
कर सकता है मेरा,
मेरी पहुँच बहुत है ऊंची।।
श्याम के घर में अपणा,
यूँ आना जाना है,
यूँ ही समझ लो रिश्ता,
जन्मो का पुराणा है,
जब चाहे पास बुला ले,
जब चाहे दूर बिठावे,
पर दिल से दिमाग से अपने,
इक पल भी ना बिसरावे ,
जब तक है सहारा,
श्याम धणी मुझको तेरा,
कोई बाल नही बांका,
कर सकता है मेरा,
मेरी पहुँच बहुत है ऊंची।।
डूब नहीं सकता मैं,
मेरा दिल कहता है,
बनकर आप खिवैया,
वो अंग संग रहता है,
माझी हो जब ऐसा तो,
तूफ़ान से फिर क्या डरना,
मिलना ते है ‘साहिल’ का,
शिकवा क्या किसी से करना,
जब तक है सहारा,
श्याम धणी मुझको तेरा,
कोई बाल नही बांका,
कर सकता है मेरा,
मेरी पहुँच बहुत है ऊंची।।
मेरी पहुँच बहुत है ऊंची,
मुझ पर है कृपा प्रभु की,
सेठो का सेठ निराला,
मेरे साथ है खाटू वाला,
जब तक है सहारा,
श्याम धणी मुझको तेरा,
कोई बाल नही बांका,
कर सकता है मेरा,
मेरी पहुँच बहुत है ऊंची।।
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