Current Date: 19 Dec, 2024

मेरी इस ज़माने में

- संजय मित्तल जी।


मेरी इस ज़माने में,
हस्ती ना होती,
अगर तुम ना होते,
अगर तुम ना होते,
किनारे पे मेरी,
कश्ती ना होती,
अगर तुम ना होते,
अगर तुम ना होते।।

तर्ज – हमें और जीने की।

हम थक गए थे,
भटकते भटकते,
गिरे जा रहे थे,
संभलते संभलते,
उठने की मुझमे,
शक्ति न होती,
अगर तुम ना होते,
अगर तुम ना होते।

मेरी इस ज़माने मे,
हस्ती ना होती,
अगर तुम ना होते,
अगर तुम ना होते।।

संकट भी आए,
हमें है डराए,
भरोसा हमारा,
हमें है जिताए,
मेरे दिल में तेरी,
भक्ति ना होती,
अगर तुम ना होते,
अगर तुम ना होते।

मेरी इस ज़माने मे,
हस्ती ना होती,
अगर तुम ना होते,
अगर तुम ना होते।।

कहने को तो है,
सबकुछ हमारा,
मगर सच है ये है,
सबकुछ तुम्हरा,
किस्मत भी इतनी,
अच्छी न होती,
अगर तुम ना होते,
अगर तुम ना होते।

मेरी इस ज़माने मे,
हस्ती ना होती,
अगर तुम ना होते,
अगर तुम ना होते।।

कहता है ‘मोहित’,
धन्यवाद तेरा,
तुमसे ही जीवन,
आबाद मेरा,
खुशियां भी इतनी,
सस्ती न होती,
अगर तुम ना होते,
अगर तुम ना होते।

मेरी इस ज़माने मे,
हस्ती ना होती,
अगर तुम ना होते,
अगर तुम ना होते।।

मेरी इस ज़माने में,
हस्ती ना होती,
अगर तुम ना होते,
अगर तुम ना होते,
किनारे पे मेरी,
कश्ती ना होती,
अगर तुम ना होते,
अगर तुम ना होते।।

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