Current Date: 22 Nov, 2024

मेरे उठे विरह में पीर (Mere Uthe Virah Me Pir)

- Chitra Vichitra Ji Maharaj


मेरे उठे विरह में पीर हिंदी में (Mere Uthe Virah Me Pir in hindi)

मेरे उठे विरह में पीर,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥

 

श्लोक

सब द्वारन को छोड़ के,

श्यामा आई तेरे द्वार,

श्री वृषभान की लाड़ली,

मेरी और निहार ॥

राधा रानी जी का मनमोहक भजन: झूला झूलो री राधे रानी

मेरे उठे विरह में पीर,

सखी वृन्दावन जाउंगी,

मुरली बाजे यमुना तीर,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥

 

श्याम सलोनी सूरत पे,

दीवानी हो गई,

अब कैसे धारू धीर सखी,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥

साध्वी पूर्णिमा जी का सबसे सुन्दर भजन: मुझे अपने ही रंग में रंग ले

छोड़ दिया मेने भोजन पानी,

श्याम की याद में,

मेरे नैनन बरसे नीर,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥

 

इस दुनिया के रिश्ते नाते,

सब ही तोड़ दिए,

तुझे कैसे दिखाऊं दिल चिर,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥

श्याम की बंशी की धुन: उड़ गई रे नींदिया मेरी, बंसी श्याम ने बजाई रे

नैन लड़े मेरे गिरधारी से,

बावरी हो गई,

दुनिया से हो गई अंजानी,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥

 

मेरे उठे विरह में पीर,

सखी वृन्दावन जाउंगी,

मुरली बाजे यमुना तीर,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥

 

मेरे उठे विरह में पीर अंग्रेजी में (Mere Uthe Virah Me Pir in english)

Mere Uthe Virah Me Pir,

Sakhi Brundaban Jaungi ॥

 

Shlok-

Sab Dwaran Ko Chod Ke,

Shyam Aae Tere Dwar,

Shree Brushbhan Ki Ladli,

Meri Aur Nihar ॥

Beautiful Bhajan of Radha Rani Ji: Jhula Jhulo Ri Radhe Ran

Mere Uthe Virah Me Pir,

Sakhi Brundaban Jaungi,

Murali Baje Yamuna Tir,

Sakhi Brundaban Jaungi ॥

 

Shyam Saloni Surat Pe,

Diwani Ho Gae,

Ab Kese Dharu Dhir Shakhi,

Sakhi Brundaban Jaungi ॥

The most beautiful bhajan of Sadhvi Purnima ji: Mujhe Apne Hi Rang Me Rang Le

Chod Diya Maine Bhojan Pani,

Shyam Ki Yaad Mein,

Mere Nainan Barse Nir,

Sakhi Brundaban Jaungi ॥

 

Is Duniya Ke Rishte Nate,

Sab Hi Chod Diya,

Tujhe Kese Dikhaun Dil Chir,

Sakhi Brundaban Jaungi ॥

Tune of Shyam's Banshi: Ud Gayi Re Nindiya Meri Bansi Shyam Ne Bajai Re

Nain Lade Mere Girdhar Se,

Babri Ho Gae,

Duniya Se Ho Gae Anjani,

Sakhi Brundaban Jaungi ॥

 

Mere Uthe Virah Me Pir,

Sakhi Brundaban Jaungi,

Murali Baje Yamuna Tir,

Sakhi Brundaban Jaungi ॥

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