F:-मेरे रोम रोम में बसने वाले वीर -2
जगत के स्वामी हे अंतर्यामीमै तुझ से क्या माँगू-2
मेरे रोम रोम में बसने वाले वीर -2
जगत के स्वामी हे अंतर्यामीमै तुझ से क्या माँगू -2
मेरे रोम रोम में बसने वाले वीर
आस का बंधन तोड़ चुकी हूँतुझ पे सब कुछ छोड़ चुकी हूँ – 2
नाथ मेरे मैं क्या कुछ सोचू -2 , तू जाने तेरा काम
जगत के स्वामी हे अंतर्यामी,मै तुझ से क्या माँगू -2
मेरे रोम रोम में बसने वाले वीर
तेरे चरण की धूल जो पाएँ वो कंकड़ हीरा हो जाए – 2
भाग्य मेरे जो मैंने पाया -2 , इन चरणों में धाम
जगत के स्वामी हे अंतर्यामी, मै तुझ से क्या माँगू -2
मेरे रोम रोम में बसने वाले वीर
भेद तेरा कोई क्या पहचाने जो तुम सा हो वो तुम्हे जाने – 2
तेरे किये को हम क्यो देवे -2, भले बुरे का नाम
जगत के स्वामी हे अंतर्यामी, मै तुझ से क्या माँगू -2
मेरे रोम रोम में बसने वाले वीर
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