Current Date: 18 Nov, 2024

मेरे रोम रोम में

- बबिता झांझरी


F:-मेरे रोम रोम में बसने वाले वीर -2

जगत के स्वामी हे अंतर्यामीमै तुझ से क्या माँगू-2

मेरे रोम रोम में बसने वाले वीर -2

जगत के स्वामी हे अंतर्यामीमै तुझ से क्या माँगू -2

मेरे रोम रोम में बसने वाले वीर

आस का बंधन तोड़ चुकी हूँतुझ पे सब कुछ छोड़ चुकी हूँ – 2

नाथ मेरे मैं क्या कुछ सोचू -2 , तू जाने तेरा काम 

जगत के स्वामी हे अंतर्यामी,मै तुझ से क्या माँगू -2

मेरे रोम रोम में बसने वाले वीर

तेरे चरण की धूल जो पाएँ वो कंकड़ हीरा हो जाए – 2

भाग्य मेरे जो मैंने पाया -2 , इन चरणों  में धाम

जगत के स्वामी हे अंतर्यामी, मै तुझ से क्या माँगू -2

मेरे रोम रोम में बसने वाले वीर

 भेद तेरा कोई क्या पहचाने जो तुम सा हो वो तुम्हे जाने – 2

 तेरे किये को हम क्यो देवे -2, भले बुरे का नाम

जगत के स्वामी हे अंतर्यामी, मै तुझ से क्या माँगू -2

मेरे रोम रोम में बसने वाले वीर

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